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किसान संगठनों का एलान- इस बार मोहाली नहीं, चंडीगढ़ के भीतर करेंगे आंदोलन

चण्डीगढ़ में फिर किसान संगठनों की बैठक हुई। तय किया गया कि पहले किसान संगठनों के अगुआ सरकार से अपनी मांगों को लेकर दो-टूक बात करेंगे। बात नहीं बनी तो फिर जोरदार प्रदर्शन व धरना दिया जाएगा। पंजाब के पांच किसान संगठनों ने शनिवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर 18 जनवरी को चंडीगढ़ में आंदोलन शुरू करने का एलान किया है। चंडीगढ़ में किस स्थान पर आंदोलन किया जाएगा, इसका फैसला आठ जनवरी को लिया जाएगा।

बैठक में भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) की ओर से बलबीर सिंह राजेवाल, अखिल भारतीय किसान फेडरेशन के प्रेम सिंह, किसान संघर्ष कमेटी के कमलप्रीत सिंह पन्नू, आजाद किसान संघर्ष कमेटी के हरजिंदर सिंह टांडा और बीकेयू मानसा के भोग सिंह ने भाग लिया। सेक्टर 35 स्थित किसान भवन में शनिवार को पांच किसान संगठनों ने बैठक कर आगामी आंदोलन की रूपरेखा पर विचार किया।

संपन्न बैठक के बाद प्रेस कांफ्रेंस में राजेवाल ने बताया कि 18 जनवरी को किसान पंजाब में गिरते भूजल स्तर, गन्ने की कम कीमत दिए जाने, एसवाईएल, चंडीगढ़ पंजाब को दिए जाने के मुद्दों को लेकर आंदोलन करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार किसानों का आंदोलन मोहाली से शुरू होकर चंडीगढ़ नहीं पहुंचेगा, बल्कि इसे चंडीगढ़ के अंदर ही शुरू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और सूबे के किसान राजधानी में अपनी मांगों के लिए आवाज बुलंद कर सकते हैं। राजेवाल ने यह चेतावनी भी दी कि अगर चंडीगढ़ प्रशासन और पुलिस ने आंदोलन की अनुमति नहीं दी, तो यह किसानों के अधिकारों का हनन होगा, जिसे चुनौती दी जाएगी।

राजेवाल ने कहा कि 18 जनवरी को चंडीगढ़ में आंदोलन किस स्थान पर होगा, इस बारे में फैसला आठ जनवरी को चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों के साथ बैठक के बाद लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ प्रशासन के अधिकारियों को किसानों की मांगों के बारे में भी जानकारी दे दी जाएगी। उन्होंने कहा कि 18 जनवरी के आंदोलन के बारे में पूरे पंजाब के गांवों में एक लाख पोस्टर बांटे जाएंगे और किसानों को चंडीगढ़ पहुंचने का आह्वान किया जाएगा।

किसानों की मांगों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पंजाब में भूजल स्तर लगातार गिरता जा रहा है, जिसे लेकर राज्य और केंद्र की सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। इसके लिए केवल किसानों को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। पंजाब सरकार की ओर से हाल ही में घोषित गन्ने की कीमतों को नाकाफी बताते हुए उन्होंने कहा कि गन्ने की फसल की लागत सबसे ज्यादा है और इस दाम से किसान खुश नहीं हैं।

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