मौसम की बेरुखी की वजह से सरकार किसानों को अपनी फसलों का बीमा कराने का आग्रह कर रही है। किसानों को प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना के तहत खेत में खड़ी फसल का बीमा करवाना होता है। दैवीय आपदा से फ़सल को नुकसान होने पर संबंधित बीमा कंपनी किसान को भरपाई करती है।
देश में अन्य सूबों की तरह से हरियाणा में भी खेतों में तैयार होती फसलें बुरी तरह प्रभावित हुईं। किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ। नियमानुसार फसल बीमा योजना में लागू सभी शर्तों को पूरा करने के बावजूद करीब सत्रह हजार किसानों को बीमा योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। प्रभावित इलाकों के किसान मुआवजे के लिए सरकारी दफ्तरों में चक्कर लगा रहे हैं।
बीते साल 2022 में महेन्द्रगढ़ जिले में तेज़ हवाओं के बाद मूसलाधार बारिश हुई थी। खेतों में तैयार होती ख़रीफ की कपास (नरमा) और बाजरा जैसी फसलों को बहुत नुक्सान पहुंचा था। जिले में कनीना, नारनौल और सतनाली विकास खंड के किसानों को सबसे ज्यादा क्षति हुई। किसानों की मेहनत,लागत और समय बर्बाद हो गया था।
किसानों के लिए दुनिया की सबसे बड़ी प्रधानमंत्री फ़सल बीमा योजना की शुरुआत सन् 2016 में किया गया था। प्रधानमंत्री की इस महत्वाकांक्षी योजना में किसानों को कुछ नियमों के साथ फसलों का बीमा-दायरे में किया जाता है। योजना का मकसद बरसात, जाड़ा, पाला, ओलावृष्टि और अन्य दैवीय कारण से होने वाले नुकसान की भरपाई करना है। इस योजना में किसानों से कम धनराशि का शुरुआती किस्त लेकर किसान को उसके नुकसान की अधिक भरपाई करके राहत पहुंचाना है।
किसानों ने अलग-अलग स्तर पर उच्च अधिकारियों से बात कर अपनी पीड़ा बतायी, लेकिन इस बाबत पीड़ित किसानों को कोई राहत नहीं मिली है।
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