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हिमाचल प्रदेश के दुर्गम इलाकों में ड्रोन से होगी सेब की पेटियों की ढुलाई

हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे इलाके हैं जहां से सेब तो बहुताय में उगाये जाते हैं लेकिन इनकी मण्डी तक ढुलाई में समय और ख़र्च ज्यादा आता है।अब ड्रोन से ज्यादा सेब की ढुलाई होगी। पिछले साल 20 किलोग्राम की सेब की पेटी को लिफ्ट करने के सफल ट्रायल किया गया था। इस बार 4 बॉक्स एक साथ ढुलाई का लक्ष्य है। इसके लिए विग्रो और स्काइ एयर कंपनी ने 100 किलोग्राम वजन एक साथ उठाने वाला ड्रोन तैयार कर लिया है। जल्द राज्य सरकार से इसे उड़ाने की मंजूरी लेकर दूसरी औपचारिकताएं पूरी की जाएंगी।

इस सेब सीज़न में ड्रोन से सेब ढुलाई होना बागवानों के लिए अच्छी खबर है। प्रदेश के किन्नौर, चंबा, शिमला, मंडी, कुल्लू और लाहौल स्पीति में कई दुर्गम क्षेत्र ऐसे हैं, जहां से सेब को मंडी तक पहुंचाना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में ड्रोन ने बागवानों को उम्मीद की नई किरण दिखाई है।

सेब के बीते साल के सीज़न में किन्नौर जिले के निचार गांव में ड्रोन से सेब को एक स्थान से दूसरी जगह पहुंचाने का ट्रायल ट्रायल किया गया था। करीब 20 किलो सेब की एक पेटी ‘कंडा’ (दोगरी) से निचार गांव तक सफलतापूर्वक पहुंचाई गई थी। ट्रायल के दौरान ड्रोन को जमीन से 800 मीटर की ऊंचाई पर उड़ाया गया। इस मौके पर संबंधित कंपनियों के कर्मचारी -अधइकआरई तथा बागवानी मौजूद थे।

सेब उत्पादक जिलों में ढुलाई के लिए किन्नौर के अलावा तीन और जगह को देखते हुए संबंधित कंपनियों ने आवश्यक तैयारियां की हैं।
किन्नौर के अलावा नारकंडा के ओड़ी और रोहड़ू में 2-3 जगह से ड्रोन से सेब ढुलाई की योजना है।

कंडा से निचार गांव तक लगभग 9 किलोमीटर का सफर तय करने में 2 घंटे से ज्यादा वक्त लगता है। ड्रोन से इस दूरी पर सेब की पेटी पहुंचाने में 7 मिनट का वक्त लगा। ऐसे में ड्रोन से बागवानों के समय की बचत होगी और उनका सेब समय पर मंडियों तक पहुंच पाएगा। अभी वक्त ज्यादा लगने की वजह से सेब की क्वालिटी भी प्रभावित होती है।

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प्रदेश सरकार ने इस वर्ष से यूनिवर्सल कार्टन को शुरू किया है। इससे जहां बागवानों को लाभ मिल रहा है, वहीं सेब आढ़तियों को भी इसका फायदा पहुंच रहा है। पहले जहां एक पेटी में 28 से 32 किलोग्राम सेब जाता था, वहीं अब यूनिवर्सल कार्टन के चलते प्रति पेटी 22 से 24 किलोग्राम सेब बिक रहा है। खाली पड़ी जगहों में भी सेब की नई पौध लगाई जा रही है। जिले में हर वर्ष बागवान अपनी आर्थिकी को मजबूत कर रहे हैं। इस वर्ष भी जिले में सेब से बागवानों को करीब आठ करोड़ की कमाई हुई है।

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