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प्रति हेक्टेयर गन्ना उत्पादन बढ़ाने के साथ भुगतान में तेजी,चार बंद मिले शुरू

गन्ना भुगतान को लेकर किसान संगठनों की मांग के मद्देनजर योगी-सरकार ने विगत 6 वर्ष में अब तक गन्ना किसानों को रिकॉर्ड 2.14 लाख करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान किया है। यह गन्ना किसानों के लिए सीएम योगी का सबसे बड़ा संबल है, जिन्होंने सूबे की सत्ता संभालते ही गन्ना किसानों के हितों को सर्वोपरि रखते हुए कार्य की रणनीति बनायी। इसके तहत गन्ना पेराई, चीनी उत्पादन एवं चीनी परता पर काम शुरू किया गया। सरकार ने सबसे पहले प्रदेश में बंद चीनी मिलों को दोबारा शुरू कराया और बकाया गन्ना मूल्य के भुगतान पर फोकस किया। योगी सरकार के प्रयासों से चीनों मिलों का संचालन सुधरा तो अधिक चीनी उत्पादन भी हुआ।

मुख्यमंत्री योगी के निर्देश पर आज प्राथमिकता के तहत किसानों का नियमित भुगतान भी हो रहा। इससे चीनी की मिठास और बढ़ गयी। साथ ही प्रति हेक्टेयर गन्ने की उत्पादकता पर भी जोर दिया जा रहा है।

भाजपा नीत सूबे में योगी- सरकार की नीतियों का ही असर है कि प्रदेश में वर्ष 2016-17 में प्रति हेक्टेयर 72.38 मैट्रिक टन गन्ने का उत्पादन हो रहा था। आज यह बढ़कर प्रति हेक्टेयर 82.31 मैट्रिक टन हो गया है। पिछले 6 वर्षों में प्रति हेक्टेयर 9.93 मैट्रिक टन गन्ने के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। इससे गन्ना किसानों को प्रति हेक्टेयर में 349 रुपये प्रति कुंतल की दर से 34,656 रुपये का अतिरिक्त लाभ मिल रहा है।

उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों के लिए 120 चीनी मिलें संचालित हैं। इन चीनी मिलों द्वारा वर्ष 2021-22 में 1,016.26 लाख टन गन्ने की पेराई की गयी थी। इससे 101.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। वहीं 2022-23 में अब तक 1,098.31 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है, जिससे 105.41 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है। पिछले 6 वर्षों में चीनी मिलों द्वारा रिकार्ड 6,403 लाख टन गन्ने की पेराई की गयी, जिससे रिकार्ड 683.07 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है।

इसी क्रम में सूबे में 2 नई चीनी मिलों की स्थापना की गयी और 4 चीनी मिलों को दोबारा शुरू की गयीं । सूबे में 30 चीनी मिलों की पेराई क्षमता में विस्तार किया गया। इसी कारण सूबे की चीनी मिलों में कुल 78,900 टीसीडी की अतिरिक्त पेराई क्षमता का सृजन हुआ।

पिछले जहां प्रदेश का औसत चीनी परता 10.61 प्रतिशत थी। दावा किया गया है कि योगी-सरकार में चीनी परता बढ़कर 11.43 प्रतिशत हो गया है। इसमें बी- हैवी शीरे एवं सीधे गन्ने से 9.60 प्रतिशत एथेनॉल उत्पादन शामिल है।सरकार ने खांडसारी नीति में बदलाव करते हुए प्रदेश में ऑनलाइन खांडसारी लाइसेंसिंग व्यवस्था लागू की गयी थी। इसका नतीजा ये रहा कि प्रदेश में 284 नई खांडसारी इकाईयों की स्थापना की गयी, जिससे 31,690 लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार उपलब्ध हुए।

योगी सरकार ने देश में एथेनॉल के उत्पादन में भी रिकॉर्ड बनाया है। वर्ष 2016-17 में जहां प्रदेश में एथेनॉल का कुल उत्पादन 42.07 करोड़ लीटर था, वहीं वर्तमान में यह बढ़कर 160 करोड़ लीटर तक पहुंच गया है।

मुख्यमंत्री योगी की मंशा के अनुरूप गन्ना विभाग ने महिलाओं को स्वावलंबी और आत्मनिर्भर बनाने के लिए उन्हे रोजगार से जोड़ा है। विभाग ने कोविड-19 महामारी के दौरान ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को गन्ना बीज उत्पादन और वितरण से जोड़ा। वर्तमान में इन कार्यों में 3,196 महिला स्वयं सहायता समूह सक्रिय हैं, जिसमें 60,000 ग्रामीण महिला उद्यमी जुड़कर गन्ने की पौध के उत्पादन कर अपना जीवकोपार्जन कर रही हैं।

उत्तर प्रदेश में महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा अब तक 38 करोड़ गन्ना पौध का उत्पादन किया जा चुका है जबकि इसका वितरण कर 102 करोड़ की आमदनी की गयी।गन्ना विभाग का दावा है कि महिला स्वयं सहायता समूहों ने पिछले कई वर्षों में गन्ना प्रजाति एवं बीज बदलाव में अग्रणी भूमिका निभायी है।

PHOTO CREDIT – Pixabay.com

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