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अनार की बागवानी में है किसान की आर्थिक सेहत का मुनाफ़ा

सरकार, इन दिनों किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए पारंपरिक फसलों की बजाय बागवानी फसलों तथा मोटे अनाज की तरफ ध्यान देने पर ज़ोर दे रही है।बागवानी फसलों में आम,केला,अनार जैसे फल ध्यान में आते है। अनार औषधीय गुणों से भरपूर होता है।

अनार की खेती से किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं। देश में अनार का क्षेत्रफल 276000 हेक्टेयर, उत्पादन 3103000 मीट्रिक टन है। भारत में अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र में की जाती है। महाराष्ट्र की जलवायु में अनार, केला और अंगूर जैसे फलों की बागवानी में अच्छी गुणवत्ता वाली उपज होती है।

कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक अनार के पौधों को अगस्त या फिर फरवरी-मार्च में लगा सकते हैं। इसकी खेती के लिए यह समय सबसे अच्छा बताया जाता है। किसानों को लगभग 3 से 4 साल बाद पेड़ फल देने लगता है। अनार की खेती की खास बात है कि इसमें एक बार निवेश करने से सालों तक लाभ कमा सकते हैं।

आनार की खेती के लिए अच्छी मिट्टी होनी चाहिए अनार को किसी भी मिट्टी में उगाया जा सकता है।अनार की खेती के लिए बहुत खराब, नीची मिट्टी की भारी, मध्यम काली और उपजाऊ मिट्टी अच्छी होती है। अच्छी जल निकासी वाली जलोढ़ या दोमट मिट्टी का चयन किया जाए तो उपज बेहतर होती है। किसानों को लगभग 3 से 4 साल बाद पेड़ फल देने लगता है।

अनार की खेती मुख्य रूप से महाराष्ट्र के पुणे, अहमदनगर, पुणे, सांगली, सोलापुर और वाशिम में होती है। मौजूदा में महाराष्ट्र में अनार की फसल के तहत 73027 हेक्टेयर क्षेत्र में अनार होता है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, आंध्रप्रदेश, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक, में इसकी खेती की जाती है।

PHOTO CREDIT – https://pixabay.com/

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