नेपियर घास, जिसे बोलचाल में हाथी घास भी कहा जाता है; साल भर पशुपालकों को चारा उपलब्ध होने का बड़ा माध्यम है। पशुओं को नेपियर घास जिसे खिलाने से दुध बढ़ता है। इसके चारे से पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में ५० प्रतिशत तक बढ़ोतरी होती है।
राजस्थान के वर्ष 2023-24 के बजट में इस योजना की घोषणा की थी। सूबे में दुग्ध उत्पादन क्षमता में वृद्धि के लिए नेपियर घास की खेती पर सरकारी मदद का संकल्प लिया गया था। अब, सरकार ने कहा है कि सूबे में नेपियर घास बीज उत्पादन एवं वितरण मिशन के तहत प्रत्येक ग्राम पंचायत में नेपियर घास के दो प्रदर्श प्रगतिशील पशु पालकों के यहां एक हेक्टेयर भूमि पर लगाया जाएगा। इससे पशुओं के लिए हरे चारे की उपलब्धता बढ़ेगी और दुग्ध उत्पादन भी बढ़ेगा।
सूबे में कृषकों को एक हेक्टेयर पर अधिकतम दस हजार रुपए प्रति प्रदर्श मौके पर जांच व सत्यापन के बाद ही पेट्रोल सब्सिडी के रूप में दिया जायेगा।
नेपियर घास बोने के लिए इसके डंठल को काम में लिया जाता है जिसे नेपियर स्टिक कहा जाता है। स्टिक को खेत में डेढ़ से दो फिट की दूरी पर रोपा जाता है। एक बीघा में करीब 4 हजार डंठल की आवश्यकता होती है। इसे जुलाई-अक्टूबर एवं फरवरी मार्च में बोया जा सकता है। इसके बीज नहीं होते है।
पशुपालक नेपियर घास लगाकर उससे प्राप्त होने वाली उपज को अन्य जरूरतमंद पशुपालकों को बेचकर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते है। यह किसान की अतिरिक्त आया होगी।
राजस्थान सरकार ने सूबे में सभी ग्राम पंचायतों में इसकी खेती के लिए अनुदान देने का फैसला लिया है। इसके लिए संबंधित विभाग में आवेदन करना होगा। सूबे में जिन गोशालाओं में चारा उत्पादन करने की सुविधा है एवं सिंचाई के पर्याप्त साधन है उन गोशालाओं के पदाधिकारी भी अपने जनआधार से नेपियर घास के प्रदर्शन लगाने के लिए आवेदन करने वाले प्रबंधन को भी इससे सुविधा का लाभ मिलेगा।
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