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अब रेडिएशन के जरिए अमेरिका-यूरोप में बढ़ेगा फल-सब्जियों का निर्यात

सरकार ने 2022 के अंत तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए फल और सब्जियों का निर्यात बढ़ाने की रणनीति पर अमल करना शुरू कर दिया है। इस क्रम में अमेरिका और यूरोपीय देशों में भारतीय फल और सब्जियों की स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए अब रेडिएशन (परमाणु विकिरण) का ज्यादा-से-ज्यादा इस्तेमाल किया जाएगा। इससे फल और सब्जियां अधिक दिनों तक खराब नहीं होती हैं। साथ ही इनके अंदर से बीमारियों वाले जीवाणु और परजीवी मर जाते हैं।

केंद्र सरकार के परमाणु ऊर्जा विभाग के अंतर्गत काम करने वाले भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बीएआरसी) में नाभिकीय कृषि एवं जैव तकनीक विभाग के वैज्ञानिक डॉ. जे सुब्रमणियन ने विशेष बातचीत में बताया कि आम, पपीता और केला जैसे फलों को लो रेडिएशन के जरिए निर्यात के योग्य बनाया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि फलों में पनपने वाले जीवाणुओं और परजीवियों से होने वाली बीमारियां दुनिया के अनेक हिस्सों में एक बड़ी समस्या है। इसी कारण अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश बिना रेडिएशन के भारतीय फलों के आयात की अनुमति नहीं देते हैं।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र ने आमों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए जो तरीका अपनाया उसमें फलों के 52 डिग्री सेल्सियस पर सोडियम हाइपोक्लोराइट घोल में डुबाया गया| फिर एक विशेष रासायनिक घोल के माध्यम से इसका उपचार किया गया ताकि आम लंबे समय तक सड़े-गले नहीं|

वर्तमान आम सीजन में भारत से 1,100 टन फलों का निर्यात किया जा रहा है| समुद्री मार्ग हवाई मार्ग के मुकाबले ज्यादा सस्ता है| लेकिन लंबी यात्रा खेप की गुणवत्ता के लिए खतरा है| हालांकि, कृषि उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के इस नए पहल के बाद आमों के सेल्फ जीवन बढ़ने के साथ उन्हें दूर देश में भी नए ग्राहक मिल गए हैं|

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