गेहूं की यूपी और बिहार में सरकारी खरीद की खराब स्थिति, केंद्र का लक्ष्य पूरा न होने की वजह बन सकती है। अगर सबसे ज्यादा खरीद करने वाले पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश अपने राज्य का टारगेट पूरा कर लें तो भी केंद्र का लक्ष्य पूरा नहीं होगा। इन तीन राज्यों में अब सिर्फ 35 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद बाकी है।
भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई के अनुसार 14 मई तक सिर्फ 258 लाख मीट्रिक टन की खरीद पूरी हुई है, जबकि लक्ष्य 341.5 लाख मीट्रिक टन का है। अभी 83.5 लाख मीट्रिक टन की और खरीद होगी तब जाकर लक्ष्य पूरा हो पाएगा. लेकिन ऐसा होता संभव नहीं दिख रहा।
उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा सूबा है। इसकी कुल गेहूं उत्पादन में हिस्सेदारी 32 फीसदी से अधिक है। लेकिन सरकारी खरीद में यह बहुत पीछे है. रबी खरीद सीजन 2022-23 के दौरान उत्तर प्रदेश में 60 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था। सरकार सिर्फ 3.36 लाख मीट्रिक टन की ही खरीद हो पाई थी। इस बार यानी 2023-24 में यहां से गेहूं खरीद का लक्ष्य और घटाकर सिर्फ 35 लाख मीट्रिक टन कर दिया गया।
मिली जानकारी के अनुसार बीती14 मई तक इतने बड़े प्रदेश में सिर्फ 1,93,545 टन ही गेहूं खरीदा जा सका है। ऐसे में अगर केंद्र सरकार का लक्ष्य पूरा नहीं होता है तो उसके लिए बड़ा जिम्मेदार उत्तर प्रदेश को माना जाएगा।
बिहार में सरकार गेहूं की खरीद अच्छी नहीं रही। इस दौरान सबसे अच्छी खरीद साल 2011-12 में हुई थी जब सेंट्रल बफर स्टॉक के लिए 5.57 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. दूसरी बार अचछी खरीद 4.56 लाख मीट्रिक टन के साथ 2021-22 में हुई। हमेशा की तरह इस बार भी स्थिति खराब है। यहां 10 लाख मीट्रिक टन खरीद का लक्ष्य दिया गया था, जबकि सिर्फ 467 मीट्रिक टन गेहूं ही खरीदा जा सका है। ऐसे में बिहार भी केंद्र की गेहूं खरीद न पूरी होने का एक बड़ा कारण बनेगा।
सरकारी गेहूं खरीद के मामले में उत्तराखंड भी फिसड्डी साबित हुआ है। उत्तराखंड में सिर्फ 189 मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया है जबकि 2 लाख मीट्रिक टन का टारगेट है। गुजरात को भी इतना ही टारगेट दिया गया है लेकिन खरीद बिल्कुल नहीं हुई है। राजस्थान को 5 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य था और इसने 3.5 लाख टन का टारगेट पूरा कर लिया है।