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कलौंजी की खेती से पांच महीने में ही भरपूर आमदनी

भारत में औषधीय फसलों की खेती का चलन बढ़ता जा रहा है| अब किसान कम मेहनत और कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाने के लिये जड़ी-बूटियों की खेती पर जोर दे रहे हैं| विशेषज्ञों की मानें तो यदि किसान यही तकनीक से बुवाई और फसल में प्रबंधन कार्य करते रहे तो पारंपरिक फसलों के मुकाबले औषधीय फसलों की खेती से अधिक आमदनी ले सकते हैं. ऐसी ही कम लागत में डबल मुनाफा देने वाली औषधीय फसल है- कलौंजी |

कलौंजी के बीजों का इस्तेमाल दवा के अलावा मसाले के तौर पर भी किया जाता है. अकसर नान, ब्रेड, केक तथा आचारों में खट्टेपन का स्वाद बढ़ाने के लिये इसका उपयोग किया जाता है|

कलौंजी रबी सीजन की एक प्रमुख नकदी फसल है| वैसे तो कलौंजी के पौधे गर्म और ठंडी दोनों जलवायु में खूब पनपते हैं, लेकिन इसकी अच्छी बढ़वार के लिये सर्दी का मौसम सबसे उपयुक्त रहता है| इस दौरान बलुई दोमट मिट्टी में जल निकासी की व्यवस्था करके खेत को तैयार करना चाहिए| बता दें कि कलौंजी की बुवाई के लिये सितंबर से लेकर अक्टूबर के बीच का तापमान बेहतर रहता है|

कलौंजी औषधीय फसल है, जिसमें कीड़ों की संभावना कम ही रहती है, लेकिन इस फसल में बीज अंकुरण के समय कुछ कीट-रोगों का प्रकोप हो सकता है. इनमें से कुछ फसल में पानी जमने के कारण पनपते हैं| इनकी रोकथाम के लिये खेत में जल निकासी की व्यवस्था करके निराई-गुड़ाई का काम करें और फसल पर जैविक कीटनाशक या कवकनाशियों का ही छिड़ाकव करें|

कलौंजी की कटाई
कलौंजी एक मध्यम अवधि की नकदी फसल है, जो रोपाई के 130 या 140 दिनों के बाद पककर तैयार हो जाती है. सर्दियों में बुवाई के बाद गर्मियों तक तैयार होने वाली कलौंजी की फसल से पौधों को जड़ समेत उखाड़ लिया जाता है|

इसके बाद कलौंजी के पौधों को धूप में सुखाया जाता है, ताकि इसके बीजों को सूखाकर निकाला जा सके|

बता दें कि इसके बीज या दानों को निकलने के लिये पौधों को लकड़ी पर पीटा जाता है|

कलौंजी का उत्पादन
एक अनुमान के मुताबिक प्रति हेक्टेयर खेत में कलौंजी की फसल लगाकर उन्नत किस्मों के जरिए 50 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं| इसकी कुछ किस्में जल्द भी पक जाती है जो 10 से 20 क्विटल तक ही उत्पादन देती हैं| बाजार में कलौंजी का भाव करीब 500 से ₹600 प्रति किलो होता है. बड़ी-बड़ी कृषि मंडियों में इसे 20000 से ₹25000 प्रति क्विंटल के भाव पर बेचा जाता है. इस प्रकार प्रति हेक्टेयर खेत में कलौंजी की फसल लगाकर किसान आराम से लाखों की कमाई ले सकते हैं|

कलौंजी की एनएस-4 किस्म सबसे ज्यादा बीजों का उत्पादन देने के लिये मशहूर है| प्रति हेक्टेयर खेत में इस किस्म के जरिए 50 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं, हालांकि बाकी किस्मों के मुकाबले यह किस्म 20 दिन देरी से तैयार होती है| जहां बाकी किसानों को पकने में 130 से 140 दिन का समय लगता है, वही कलौंजी की उन्नत किस्म एनएस-4 से 150 से 160 दिनों के अंदर काफी ज्यादा उत्पादन मिल जाता है. कलौंजी की इस खास किस्म Kalonji NS-4 की उत्पादन क्षमता गजब की है, जो किसानों को कम समय में अच्छा मुनाफा भी दे सकती है.

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