मोटा अनाज किसी भी जलवायु में पैदा हो जाता है। यह वर्षा आधारित खेती के लिए यह उपयुक्त फसल है। अधिक वर्षा बाले क्षेत्रों में खेतों से पानी की निकासी का पूर्ण प्रबंध होना आवश्यक है। इसकी खेती करने के लिए ज्यादा खाद और कीटनाशकों की आवश्यकता नहीं होती है। इसलिए कम पोषक मृदा में भी यह अनाज उगाया जा सकता है।
रागी, कोदरा, स्वांक, बाजरा और कुटकी के बीज पर कृषि विभाग 30 रुपये प्रति किलोग्राम अनुदान देगा। मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने के लिए खाद्य और कृषि संगठन ने अंतरराष्ट्रीय पोषक अनाज वर्ष घोषित किया है। मोटा अनाज मधुमेह, खून की कमी पूरा करने और कोलेस्ट्रोल को कम करने में लाभदायक होता है।
कुछ समय से मोटे अनाज के अंतर्गत क्षेत्रफल धीरे-धीरे कम हो रहा है। अब मोटे अनाज की पैदावार बढ़ाने के लिए कृषि विभाग अपने स्तर पर प्रयास कर रहा है। विभाग ने अब तक 40 जागरूकता शिविर भी लगाए हैं। सरकार और विभागीय निदेशालय से जारी आदेशानुसार मोटे अनाज के बीजों पर विभाग प्रति किलो 30 रुपये का अनुदान दे रहा है।
मोटे अनाज के बीज की बिजाई के लिए मई-जून या वर्षा ऋतु के आरंभ का मौसम उपयुक्त होता है। बरसात के मौसम में इसकी पैदावार के लिए उचित मात्रा में वर्षा का पानी मिल जाता है।