इस साल मानसून में बेठिकाना बारिश हुई। कहीं मूसलाधार बारिश हुई तो केरल, ओडिशा और झारखण्ड के किसानों को बारिश की कमी की वजह से धान बोने में देरी हुई। किसानों को धान की जगह मोटे अनाज बोकर संतोष करना पड़ा। इसके बावजूद केन्द्र सरकार ने गरीब सीज़न की सरकारी धान खरीद का चौंकाने वाला अनुमान लगाया है। न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी एजेंसियां पिछले साल से अधिक धान खरीदेंगी। केन्द्र सरकार को वर्तमान खरीफ सीजन में देश का चावल उत्पादन पिछले साल के 110 मिलियन टन से अधिक होने का अनुमान है। इस बार धान की कई सूबों में भरपूर बुवाई हुई है और अब तक मौसम भी साथ दे रहा है. रिकॉर्ड उत्पादन की संभावना को देखते हुए खाद्य मंत्रालय ने घोषणा की है कि पहली अक्टूबर से शुरू होने वाले अगले खरीद सीजन में खरीद का लक्ष्य मौजूदा सीजन की वास्तविक खरीद 49.6 मिलियन टन से थोड़ा बढ़ाकर 52.1 मिलियन टन कर दिया गया है। पिछले साल सरकार ने खरीफ में पैदा होने वाले चावल की खरीद का लक्ष्य 51.56 मिलियन टन निर्धारित किया था। यह खरीद अक्टूबर और मार्च के बीच की जाती है। असम और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों में खरीद जून तक जारी रहती है, क्योंकि अन्य राज्यों में खरीफ धान की कटाई में देरी होती है। दूसरी ओर, सरकार ने यह भी कहा है कि गेहूं आयात की कोई योजना नहीं है। आगामी खरीफ विपणन मौसम (केएमएस) 2023-24 के दौरान 521.27 लाख मीट्रिक टन चावल की खरीद का अनुमान लगाया गया है, जबकि पिछले वर्ष का अनुमान 518 लाख मीट्रिक टन था, जबकि पिछले खरीफ विपणन मौसम 2022-23 के दौरान वास्तव में 496 लाख मीट्रिक टन की खरीद की गई थी। खरीफ विपणन मौसम वर्ष 2023-24 के दौरान, चावल की अनुमानित खरीद के मामले में अग्रणी राज्य पंजाब (122 लाख मीट्रिक टन), छत्तीसगढ़ (61 लाख मीट्रिक टन) और तेलंगाना (50 लाख मीट्रिक टन) रहे। इसके बाद ओडिशा (44.28 लाख मीट्रिक टन), उत्तर प्रदेश (44 लाख मीट्रिक टन), हरियाणा (40 लाख मीट्रिक टन), मध्य प्रदेश (34 लाख मीट्रिक टन), बिहार (30 लाख मीट्रिक टन), आंध्र प्रदेश (25 लाख मीट्रिक टन), पश्चिम बंगाल (24 लाख मीट्रिक टन) और तमिलनाडु (15 लाख मीट्रिक टन) का स्थान रहा। PHOTO CREDIT – pixabay.com
