अपने जिले की हर महिला के लिए मिसाल बनकर उभर रही हैं- कानुबेन । आधुनिक तकनीकों के सहारे पशुपालन कर कानुबेन चौधरी अच्छी खासी कमाई कर रही हैं। बता दें कि, कानुबेन ज्यादा पढ़ी लिखी तो नहीं है लेकिन अपनी मेहनत और जज्बे के बलबूते आज वो एक सफल महिला उद्यमी बनकर मिसाल पेश कर रही हैं।
शुरूआत में जब कानुबेन ने डेयरी व्यवसाय करने का मन बनाया था। तब उनके सामने कई तरह की मुश्किलें थी। दरअसल, डेयरी व्यवसाय शुरू करने के लिए करीब 10 लाख रूपये की जरूरत होती है। साथ ही, पशुओं की देखभाल से लेकर उनके चारे की व्यवस्था, और उत्पादन के बाद दूध को मार्केट उपलब्ध कराने तक कई मुश्किलें झेलनी पड़ती है। ऐसे में पशुपालन करने से पहले इन सभी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी हो जाता है।
कानुबेन ने पशुपालन से जुड़ी सारी बातों को ध्यान में रखते हुए अपने डेयरी व्यवसाय की शुरूआत केवल 10 पशुओं के साथ की थी, तो वहीं दूध बेचने के लिए शुरूआती समय में उन्हें रोजाना करीब 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ता था। बस धीरे-धीरे वक्त बीतता चला गया और कानुबेन की मेहनत ने रंग लाना भी शुरू कर दिया।
थोड़े ही समय में कानुबेन की डेयरी में दूध की खपत बढ़ने लगी और साथ ही दुधारू पशुओं की संख्या में भी उन्होंने इजाफा करना शुरू कर दिया आज कानुबेन की डेयरी में लगभग 100 से भी ज्यादा गाय-भैंस हैं। जिनका पालन कर वो महीने में लाखों रूपये की कमाई कर रही हैं। कानुबेन ने बताया कि, वो जैसे-जैसे दूध की खपत बढ़ने लगी वैसे-वैसे उन्हें पशुओं की संख्या भी बढ़ानी पड़ी लेकिन पशुओं की संख्या बढ़ने से उनके लिए पूरी डेयरी को अकेले संभालना अब मुश्किल हो चला था।
ऐसी परिस्थिति में कानुबेन चौधरी ने कुछ लोगों को काम पर रखा तो वहीं तकनीकों का सहारा लेना भी शुरू किया। हाथ से दूध दुहने की जगह अब कानुबेन की डेयरी में दूध दुहने के लिए मिल्किंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है। कानुबेन बताती है कि, वो अपने पशुओ का खास ख्याल रखती हैं।
उनकी साफ-सफाई से लेकर उनके बीमार होने तक हर एक छोटी चीज के लिए कानुबेन ने प्रबंध किए हुए हैं। गाय-भैंसों के लिए हवादार कमरों में पंखों का भी इंतजाम किया है। इतना ही नहीं मिल्किंग मशीनों के साथ ही पशुओं को नहलाने के लिए भी मशीनों का इस्तेमाल किया जाता है।
खास बात ये है कि, महिला पशुपालक किसान होने के साथ-साथ कानुबेन आज एक सफल महिला उद्यमी भी हैं उनके इसी काम के लिए उन्हें बनास डेयरी की तरफ से ‘बनास लक्ष्मी सम्मान से भी सम्मानित किया जा चुका है। इसके अलावा गुजरात सरकार और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (NDDB) की ओर से भी उन्हें सम्मान मिल चुका है|