बिहार कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी ने रिसर्च कर पिछले एक दशक के कठिन प्रयास से फूलों की पैकेजिंग की एक ऐसी नई तकनीक विकसित किया है जिससे फूल पांच वर्ष से ज्यादा समय तक खराब नहीं होगा। ऐसी फूलों के पैकेजिंग पर देश के तीन चार राज्यों में काम किए जा रहे हैं लेकिन फूलों को सुरक्षित व संरक्षित रखने में अब तक विकसित तकनीक ज्यादा समय तक सफल नहीं हो पा रही थी। विद्यालय में ऐसी तकनीक विकसित की है जो लंबे समय तक फूलों को सुरक्षित रखा जा सकता है। पांच वर्ष तक विभिन्न पैकेजिंग मोड में रखकर रिसर्च किया गया जिस से निकले परिणाम से विश्वविद्यालय के विज्ञानी गदगद हैं।
फूलों के विज्ञानी डा. दीप्ति सिंह कहती है कि सूखे फूल से बने उत्पाद पर्यावरण के अनुरूप सस्ते एवं नवीनतम डिजाइन के बनाया जा सकता है साथ ही इन पर जलवायु परिवर्तन का भी कोई असर नहीं होता है।
यह तकनीक अत्यंत ही सरल है। महिला वर्ग और शरीर से कमजोर लोग भी इस तकनीक का लाभ उठा सकते हैं। घर के बेकार पड़ी वस्तुओं पर भगवान पर चढ़े फूल, अवसरों पर व्यवहार में लाया गया फूल और फूलों की पंखुड़ियों से सुंदर आकृति देकर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय बाजारों में अधिक लाभ कमाया जा सकता है। सूखे फूल से बने उत्पाद को कई वर्षों तक संरक्षित रखने के लिए बेहतर तकनीक पैकेजिंग की जरूरत होती है। पिछले कई वर्षों से दो आकारीय उत्पादों लेमिनेशन और तीन आकारीय उत्पादों में सैलो टेप द्वारा कवर किए गए उत्पादों में रंग की कमी नहीं पाई गई और कीट कवक रहित पाया गया।
उन्होंने कहा कि अनुसंधान के परिणाम से यह स्पष्ट हो गया है कि विश्वविद्यालय अब सूखे फूल के उत्पाद बनाने एवं उसका बेहतर पैकेजिंग तकनीक का प्रशिक्षण देने में सक्षम है।
देश में सूखे फूलों से उत्पाद बनाने की तकनीक पर पूसा नई दिल्ली, लखनऊ, तमिलनाडु, कलकता कि विश्वविद्यालयों में काम किया जा रहा है। परंतु सूखे फूल उत्पाद पैकेजिंग तकनीक में विश्वविद्यालय द्वारा विकसित नवीन तकनीक है। जिसकी कमी बाजारों एवं संस्थानों में देखी गई है। अब तक उन्नत तकनीक कुछ महीनों तक ही उत्पाद को गुणवत्तापूर्ण रखने में सक्षम हैं।
दो आकारीय उत्पाद के लिए सिलिका जेल या सोखता कागज की मदद से सुखा कर ग्रीटिंग कार्ड , बुकमार्क, पेपर वेट, पेन स्टैंड, सीनरी, वाल क्विल्ट, सूखा पुष्प विन्यास, अन्य सजावट संबंधित उत्पाद बनाये जा सकते हैं।
सूखे फूलों से बने सजावटी सामान के विदेशी परिवार मुरीद हैं| ठंडे देशों में गर्मी में उत्पादित होने वाला और गर्म देशों में ठंडे में उत्पादित होने वाला फूल उन्हें नहीं दिखता है। बेहतर पैकेजिंग में खूबसूरत फूलों को वह अपने आसपास रखना चाहते हैं। यदि यह तकनीक बेहतर ढंग से बिहार के फूल उत्पादक किसान और युवाओं ने अपनाया तो आय का बड़ा साधन बनेगा।