दलहन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 2022-23 के दौरान 11 राज्यों के किसानों को 8 लाख से अधिक दालाें के बीज बांटने शुरू कर दिए गए हैं| जिसके तहत एक मिनीकीट के तौर पर उड़द के 4.54 लाख बीज मिनीकिट और मसूर के 4.04 लाख बीज मिनीकिट किसानों के बीच बांटे गए हैं| जानकारी के मुताबिक विशेष रूप से बारिश की कमी वाले क्षेत्रों में जल्दी बुवाई के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश के लिए 1,11,563 किट, झारखंड के लिए 12,500 किट और बिहार के लिए 12,500 किट उपलब्ध कराए गए हैं|
केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण विभाग दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए जिस योजना पर काम कर रहा है| उसके तहत आगमी रबी सीजन में देश के 11 राज्यों में दलहनी फसलों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया जाना है| कृषि मंत्रालय आगामी रबी सीजन में इन 11 राज्यों में उड़द और मसूर का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रहा है. इसके लिए एक विशेष कार्यक्रम (टीएमयू 370) ‘तूर मसूर उड़द – 370’ भी लागू किया गया है| जिसके माध्यम से देश के 11 राज्यों में पड़ने वाले 120 जिलों में मसूर और 150 जिलों में उड़द का उत्पादन बढ़ाने की योजना है|
भारत ने दालों के उत्पादन के मामले में बीते दो दशकों में आत्मनिर्भरता की यात्रा पूरी की है| आंकड़ों के अनुसार 2002 में जहां भारत के अंदर दालों का उत्पादन 13 लाख मीट्रिक टन था, वह मौजूदा समय में 27 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है, जो खपत से अधिक है|
आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2021 में देश में 22 लाख मीट्रिक टन दालों की खपत हुई थी| हालांकि देश के अंदर उत्पादित होने वाली दालों में सोयाबीन की मात्रा सबसे अधिक है| वहीं, उड़द और मसूर का उत्पादन खपत की तुलना में कम है| ऐसे में कृषि मंत्रालय का यह कार्यक्रम उड़द और मसूर का उत्पादन बढ़ाने में महत्ती भूमिका निभा सकता है|
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायत राज तथा खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि भारत, दुनिया में दलहन का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता है। भारत ने दलहन में लगभग आत्मनिर्भरता हासिल कर ली है। बीते पांच-छह साल में ही भारत ने दलहन उत्पादकता को 140 लाख टन से बढ़ाकर 240 लाख टन से ज्यादा कर लिया है। वर्ष 2019-20 में, भारत में 23.15 मिलियन टन दलहन उत्पादन हुआ, जो विश्व का 23.62% है।