नेशनल टी बोर्ड की तकनीकी टीम ने कुछ माह पहले झारखंड के कई इलाकों का दौरा किया था| उन्होंने लिखित अनुशंसा की है कि झारखंड का कुछ इलाका कर्क रेखा के करीब पड़ता है| यहां का मौसम चाय उत्पादन के अनुकूल है. गुमला, हजारीबाग के अतिरिक्त खूंटी में भी इसकी संभावना है| यहां की मिट्टी ढलान वाली है| इससे चाय की खेती में पानी जमने की संभावना बहुत कम है. इससे चाय का उत्पादन हो सकता है|
कृषि विभाग झारखंड में चाय की खेती की संभावनाएं तलाश रहा है| इसके लिए पहली बार योजना तैयार की गयी है| विभाग के फार्म में एक करोड़ 80 लाख रुपये की लागत से प्रत्यक्षण कराया जायेगा| यह काम उद्यान विकास योजना के पैसे से कराया जायेगा|
इससे पूर्व नेशनल टी बोर्ड की तकनीकी टीम ने राज्य के कई जिलों का दौरा कर चाय की खेती की संभावना का अध्ययन किया था| टी बोर्ड ने झारखंड में पहले चरण में 60 एकड़ में इसका प्रदर्श करने की अनुमति दी है| गुमला के रायडीह और पालकोट फार्म में 35 एकड़ में चाय लगाया जायेगा| हजारीबाग के डेमोटांड़ स्थित फॉर्म में 25 एकड़ में चाय लगाया जायेगा|
इस योजना के तहत चयनित किसानों को चाय की गुणवत्ता खेती के संबंध में 15 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण दिया जायेगा| इसमें दूसरे राज्यों का भ्रमण भी कराया जायेगा| इस प्रति व्यक्ति 55800 रुपये खर्च किया जायेगा| प्रशिक्षण राज्य सरकार और भारत सरकार के चिह्नित प्रतिष्ठानों द्वारा कराया जायेगा| प्रशिक्षण का प्रारूप टी बोर्ड ने तय किया है| चाय की खेती को बढ़ावा देने के लिए तथा पौधा तैयार करने के लिए नर्सरी की स्थापना की जायेगी| विशेषज्ञों के परामर्श, रख रखाव व अन्य आकस्मिकता मद में 8.95 लाख रुपये खर्च होगा|
योजना का क्रियान्वयन निदेशक उद्यान, उप निदेशक उद्यान, उप निदेशक भूमि संरक्षण प्रशिक्षण संस्थान डेमोटांड़ हजारीबाग की देखरेख में होगा| जिला स्तर पर उद्यान पदाधिकारी और अनुमंडल कृषि पदाधिकारी स्कीम का क्रियान्वयन करेंगे|
पहले चरण में गुमला एवं हजारीबाग में एक-एक एकड़ से इसी माह में शुरुआत की जायेगी| शेष काम अक्तूबर माह में शुरू होगा| प्रति एकड़ 43560 रुपये खर्च करने की योजना है| प्रक्षेत्र की घेराबंदी पर प्रति एकड़ 26400 रुपये खर्च किया जायेगा|