संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मंगलवार को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरकार की समिति को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि निरस्त किए जा चुके कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले ‘तथाकथित किसान नेता इसके सदस्य हैं। इस समिति के गठन की घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल नवंबर में एसकेएम के विरोध के बाद तीनों काले कृषि कानूनों को वापस लेते समय की थी। इसके आठ महीने बाद बीते सोमवार को केंद्र सरकार ने एमएसपी को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने, फसल विविधीकरण और प्राकृतिक खेती सहित अन्य कृषि संबंधित मुद्दों के लिए 26 सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति में पंजाब का कोई भी व्यक्ति शामिल नहीं है।
किसान संगठनों का कहना है कि सरकारी सदस्यों व उनके पक्ष के लोगों से भरी इस कमेटी के एजेंडे में एमएसपी कानून की चर्चा करने की कोई गुंजाइश नजर नहीं आ रही है। ऐसे में एमएसपी की कानूनी गारंटी हासिल करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा समन्वय समिति के सदस्य डॉ. दर्शन पाल ने कहा कि प्रधानमंत्री की तरफ से 19 नवंबर, 2021 को तीन कृषि कानून रद्द करने की घोषणा के साथ जब इस कमेटी की घोषणा की गई थी तभी से मोर्चा ने ऐसी किसी कमेटी के बारे में अपने संदेह सार्वजनिक किए थे।
मार्च के महीने में जब सरकार ने मोर्चे से इस कमेटी के लिए नाम मांगे थे तब भी मोर्चा ने सरकार से कमेटी के बारे में स्पष्टीकरण मांगा था जिसका जवाब कभी नहीं मिला। 3 जुलाई को एसकेएम की राष्ट्रीय बैठक में सर्वसम्मति से फैसला किया था कि जब तक सरकार कमेटी के अधिकार क्षेत्र और कार्यक्षेत्र स्पष्ट नहीं करती तब तक इस कमेटी में एसकेएम के प्रतिनिधि का नामांकन करने का औचित्य नहीं है।