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देश के 150 बांधों में 69% पानी ही बचा, 14 राज्यों में हालात ज्यादा खराब

पानी से भरे रहने वाले बांधों में पानी नहीं है। यह स्थिति किसानों को भी बेचैन कर देने वाली है। नहरों में कम पानी का सीधा संबंध खेतों की सिंचाई से है। पैदावार से जुड़े इस मुद्दे को लेकर कॄषि वैज्ञानिक चिंतित हैं।

देश के 14 राज्यों के बांधों में पानी का स्तर इस हफ्ते सामान्य से नीचे चला गया है। बांधों की क्षमता से 70 से भी कम पानी है जिससे चिंता बढ़ गई है। उत्तर की तुलना में दक्षिण भारत के बांधों की हालत अधिक खराब है। देश के 14 राज्यों में 150 बांध हैं जिनकी निगरानी केंद्र सरकार की सेंट्रल वाटर कमीशन करता है। कमिशन की रिपोर्ट बताती है कि 150 प्रमुख बांधों में क्षमता से 70 परसेंट से कम पानी बचा है। यानी इन बांधों में सामान्य स्तर से भी कम बारिश बचा है।

सेंट्रल वाटर कमीशन की रिपोर्ट बताती है कि 9 नवम्बर को देश के प्रमुख बांधों में 124 अरब घन मीटर (बीसीएम) जमा है। इन बांधों में 178 बीसीएम पानी होना चाहिए, लेकिन उसकी तुलना में 69 परसेंट पानी ही बचा है। पानी का यह स्तर पिछले साल के साथ ही पिछले दस साल से कम है। पिछले हफ्ते बांधों में पानी अपनी कुल क्षमता का 71 परसेंट था। बांधों में पानी की कमी इसलिए है क्योंकि देश में इस बार मॉनसून बेतरतीब रहा। कहीं बारिश अधिक तो कहीं सूखे की हालत देखी गई। बारिश कम होने से बांधों में पानी का स्तर घटा है।

सेंट्रल वाटर कमीशन की रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के बांधों में कम पानी का स्तर चिंता बढ़ाने वाली बात है। सबसे अच्छी स्थिति गुजरात की है जहां के बांधों में पानी की मात्रा अच्छी है। गुजरात के बांधों में पानी का स्तर सामान्य से 31 परसेंट अधिक है। आंकड़े के मुताबिक, देश के 15 बांधों में सामान्य से 50 फीसद तक अधिक पानी है जबकि 80 बांधों में सामान्य का 80 परसेंट या उससे अधिक पानी है। दक्षिण भारत के बांधों में सामान्य स्टोरेज से 45 परसेंट तक कम पानी है।

इस संबंध में भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी ) ने कहा है कि देश के 712 जिलों में 64 परसेंट जिले ऐसे हैं जहां या तो बिल्कुल बारिश नहीं हुई या कम बारिश दर्ज की गई। इससे बांधों में पानी का स्तर तेजी से गिर गया। मॉनसून के बाद बारिश की कमी और बांधों में घटता जलस्तर कई मायनों में चिंता बढ़ाने वाला है। इससे रबी फसलों पर बुरा असर होगा जिनमें गेहूं, चावल, सरसों और चना प्रमुख हैं। इन फसलों के लिए सिंचाई के पानी की समस्या खड़ी हो सकती है।

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