सेब सीजन शुरू होते ही कार्टन और पैकिंग ट्रे की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से बागवानों की परेशानी बढ़ गई है। महंगाई से सेब उत्पादन की लागत बढ़ रही है और कमाई घट रही है। सूखे की मार से बागवान पहले ही परेशान थे, उस पर कार्टन और ट्रे की बढ़ी कीमतों ने समस्या और बढ़ा दी है। बीते साल के मुकाबले इस साल कार्टन की कीमतों में करीब 18 फीसदी और पैकिंग ट्रे की कीमतों में 40 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। बीते दो साल के भीतर कार्टन की कीमतें 25 से 30 रुपये, जबकि पैकिंग ट्रे की कीमतें 250 से 275 रुपये तक बढ़ी हैं। महंगाई की मार से राहत के लिए बागवान संगठन सरकार से कार्टन पर जीएसटी माफ करने की मांग उठा रहे हैं।
हिमाचल संयुक्त किसान मंच के संयोजक हरीश चौहान का कहना है कि-“कृषि बागवानी में अनुदान खत्म कर सरकार कारपोरेट खेती को बढ़ावा दे रही है। कार्टन, ट्रे, खादों और कीटनाशकों की कीमतों में भारी वृद्धि हुई है। कार्टन पर जीएसटी 12 से 18 फीसदी कर दिया है। बागवानों के एमआईएस के करोड़ों रुपये सरकार पर बकाया है। अनुदान बहाल कर बागवानों को बकाया का तुरंत भुगतान किया जाए|”
पैकिंग सामग्री की कीमतों में अप्रत्याशित वृद्धि सरकार की संवेदनहीनता और बागवान संगठनों की निष्क्रियता का परिणाम है। बागवानी क्षेत्र के प्रति सरकार का रवैया पूरी तरह पक्षपातपूर्ण रहा है। सरकार लगातार बागवानों की अनदेखी कर रही है।
हिमाचल में चालू सीजन में सेब का उत्पादन बढ़ेगा और सेब की गुणवत्ता घटेगी। राज्य सरकार के पास फील्ड से पहुंची रिपोर्ट में चार करोड़ पेटी सेब पैदा होने का अनुमान है।
बागवानों को इस बार छोटे आकार का सेब ज्यादा मिलेगा। हिमाचल में पिछले साल पौने तीन करोड़ पेटी सेब की पैदावार हुई थी। गुणवत्ता वाले सेब का उत्पादन कम होने से बागवानों को आर्थिक लाभ भी कम मिलेगा। प्रदेश के सेब उत्पादक इलाकों में सेब क अच्छी सेटिंग हुई है और पड़ों में सेब अधिक मात्रा में लगे हैं|