श्रीगंगानगर इलाके में पैदा होने वाला किन्नू अपनी मिठास के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। अपनी मिठास और दामों में कम होने के कारण यह नागपुरी संतरे को टक्कर देता है। इसी वजह से श्रीगंगानगर किन्नू की डिमांड देश में ही नहीं विदेशो में भी होने लगी है। अब श्रीगंगानगर से विदेशो में भी किन्नू पहुंचाने के लिए प्रयास तेज कर दिए गए हैं। अब इन दोनों जिलों से लगे हरियाणा के सिरसा व फतेहाबाद में भी किन्नू की अच्छी पैदावार होती है|
किन्नू नींबू वर्गीय संकर फल है और राजस्थान के गंगानगर इलाके में पैदा होने वाला किन्नू अपनी चमक, रंग व विशेष स्वाद की वजह से देश-दुनिया में अलग ही पहचान रखता है| कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, जिले में 11,174 हेक्टेयर में किन्नू की बागवानी है, जहां इस सीजन में 1,80,000 टन उत्पादन होने की उम्मीद है|
श्रीगंगानगर का किन्नू अब विदेशों में अपनी पैठ बनाता जा रहा है। अपने स्वाद और रंग से दंग करने वाला गंगानगरी किन्नू फलों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में गुणवत्ता के मामले में पाकिस्तान के किन्नू को पछाड़ चुका है। किन्नू का रूस व इंग्लैण्ड सहित कई अन्य देशों में भी निर्यात हो चुका है।
भारत में किन्नू की मांग और विदेशों में लोकप्रियता में लगातार बढ़ी है। ऑरेंज का हाईब्रीड किन्नू को ए.ची.बी. फ्रास्ट ने 1915 में तैयार किया था। किन्नू का भारत में प्रवेश अबोहर अनुसंधान केंद्र में डा. जे.सी. बख्शी के प्रयासों द्वारा 1954 में हुआ था।