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हरियाणा : चारा उगाने वाले किसानों को मिलेगा 10 हज़ार रुपये प्रति एकड़

हरियाणा सरकार राज्य के किसानों के लिए ‘चारा-बिजाई योजना’ को लागू करने जा रही है जिसके तहत यदि गौशालाओं के आसपास कोई किसान 10 एकड़ भूमि तक चारा उगाकर उसे गौशालाओं को आपसी सहमति के माध्यम से मुहैया करवाता हैं तो राज्य सरकार द्वारा ऐसे किसानों को 10 हजार रूपए प्रति एकड़ के अनुसार सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी। यह राशि किसानों के खातों में डीबीटी के माध्यम से पहुंचाई जाएगी।

संतुलित पशु आहार के लिए चारा बहुत आवश्यक है, इससे पशु जहां स्वस्थ रहता है वहीं पशुपालकों को अधिक दूध भी प्राप्त होता है। पशुओं को हरा चारा मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जाती हैं। हरियाणा सरकार ने राज्य की गौ-शालाओं को हरा चारा उपलब्ध हो सके इसके लिए “चारा-बिजाई योजना” शुरू करने जा रही है। योजना के तहत किसानों को चारा उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा|

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जे.पी. दलाल ने कहा कि ‘चारा-बिजाई योजना’ के आने से किसानों को भी लाभ होगा और प्राकृतिक खेती को बढावा मिलने के साथ-साथ गौ-शालाओं को भी लाभ व सुविधा होगी। उन्होंने कहा कि चारा अर्थात भूसे के लिए राज्य की 569 गौशालाओं को अप्रैल माह में 13.44 करोड़ रूपए की राशि मुहैया करवा दी गई हैं।

चारे के बढ़ते दाम और किल्लत की वजह से गौशाला संचालक चारा नहीं खरीद पा रहे हैं| बड़ी संख्या में गौधन संकट में है|

हरियाणा में सूखे चारे खासकर गेहूं से बनने वाले भूसे (तूड़ी) का दाम सातवें आसमान पर पहुंच चुका है| पिछले सीजन जो भूसा करीब 300 रूपये प्रति क्विंटल था वो अब 700 के ऊपर मिल रहा है| थोक में किसान 7 हजार रुपये में एक एकड़ खरीद लेते थे| लेकिन उसका दाम अब 16 हजार रुपये को पार कर गया है. सामान्य किसान के लिए इतना महंगा चारा खरीदना बेहद मुश्किल हो रहा है|

चारे की किल्लत को देखते हुए हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और पानीपत में धारा 144 लगानी पड़ी. प्रशासन ने इन जिलों में चारे की बिक्री और बाहर भेजने पर रोक लगा दी|
सिरसा और फतेहाबाद जिलों में सूखे चारे की कमी को देखते हुए जिला उपायुक्त ने धारा 144 के तहत जिले से बाहर जाने और ईंट-भट्टों और बॉयलर में इसके प्रयोग पर रोक लगाने का आदेश दिया था| जिला प्रशासन ने कहा कि तूड़ी फैक्ट्री में प्रयोग होती है और इसे बाहर भी भेजा जाता है| इससे गौवंश में सूखे चारे की कमी होती है| इसलिए तूड़ी को फैक्ट्री में प्रयोग करने व सिरसा से बाहर भेजने पर प्रतिबंध लगाया जाता है|

हरियाणा में चारा महंगा होने के पीछे कई बड़े कारण बताये जा रहे हैं| पहला यह है कि इस बार पिछले सालों की तुलना में गेहूं की बिजाई बेहद कम की गई थी| सरसों का भाव तेज था इसलिए किसानों ने मुनाफे के लिए सरसों ज्यादा बोयी | दूसरा बड़ा कारण ये भी है कि अब हाथ से कटाई की बजाए 90 फीसदी गेहूं की कटाई कंबाइन मशीन से का जाती है| कंबाइन से कटाई की तुलना में तूड़ी 30 प्रतिशत तक कम निकलती है| इसके अलावा तीसरा बड़ा कारण ये भी है कि समय से पहले शुरू हुई गर्मी की वजह से भी गेहूं उत्पादन कम हुआ है|

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