यूक्रेन की मिट्टी से बनी टाइल्स भारत के हर घर में लगी है | गुजरात के मोरबी और राजकोट इलाके का यह कारोबार करोड़ों रुपए का ऐसा कारोबार है जिसमें लाखों लोग जुड़े हैं यूक्रेन और रूस के बीच जंग के चलते इस कारोबार पर भी बुरा असर पढ़ने की आशंका है|
यूक्रेन पर रूस के हमले से पूरी दुनिया में खलबली मच गई है। इससे कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर भी असर पड़ने वाला है। ऐसा ही एक बुरा असर गुजरात की टाइल्स सिटी मोरबी पर भी पड़ने वाला हैं। क्योंकि मोरबी में बनने वाले ज्यादातर चमचमाते टाइल्स में यूक्रेन की ही चमकीली मिट्टी का उपयोग किया जाता है।
दरअसल, यूक्रेन की जमीन से गीली और चमकदार मिट्टी निकलती है, जो टाइल्स के निर्माण में बहुत काम आती है। इसी के चलते मोरबी के टाइल्स बिजनेसमैन भारी मात्रा में यूक्रेन की मिट्टी खरीदते हैं। इस तरह यूक्रेन पर हमले से इस बिजनेस पर सीधा असर पड़ने वाला है।
दरअसल, यूक्रेन की जमीन से गीली और चमकदार मिट्टी निकलती है, जो टाइल्स के निर्माण में बहुत काम आती है। इसी के चलते मोरबी के टाइल्स कारोबारी भारी मात्रा में यूक्रेन की मिट्टी खरीदते हैं। जाहिर है कि यूक्रेन पर हमले से खासतौर पर टाइल के व्यवसाय पर सीधा असर पड़ने वाला है।
यूक्रेन की मिट्टी की खासियत यह है कि यह दूधिया चमक लिए होती है। यह सूखने के बाद ज्यादा चमकदार हो जाती है। इटली के मार्बल में जो चमकीले कण पाए जाते हैं, वही यूक्रेन की मिट्टी में भी होते हैं। यूक्रेन में मिट्टी की ढेरों खदानें हैं और इसकी सप्लाई दुनिया भर के देशों में होती है।
दो दशक पहले की बात करें तो मोरबी के सिरेमिक उद्योग में यूक्रेनी मिट्टी का सबसे अधिक उपयोग किया जाता था। मोरबी में इस मिट्टी की इतनी मांग होती थी कि यूक्रेन से कंटेनर्स से ही नहीं, बल्कि छोटे मालवाहक जहाजो मे भर-भरकर मिट्टी मोरबी पहुंचती थी।
उस समय यूक्रेन की मिट्टी में अन्य मिट्टी मिलाकर टाइल्स बनाए जाते थे। धीरे-धीरे यूक्रेन की मिट्टी की मांग दुनिया भर में होने लगी| फिर तो इसकी कीमत में भी इजाफा होता गया। इस मिटटी पर भी बड़े-बड़े कारोबारियो का इकतरफ़ा कब्जा होने लगा तो मोरबी के छोटे व्यापारियों ने इसका उपयोग करना बंद कर दिया। अब कुछ बड़ी कंपनियां ही यूक्रेन से मिट्टी को आयात करती हैं।
मोरबी के सिरामिक उद्योग को यूक्रेन की मिट्टी इसलिए भी महंगी पड़ने लगी, क्योंकि उस समय सारा खर्चा मिलाकर भी मिट्टी 2-3 रुपए किलो में मिल जाती थी। पिछले 2-3 सालों में यही कीमत 8-10 रुपए तक पहुंच चुकी है।
वहीं, टाइल्स के लिए लाखों टन मिट्टी की जरूरत होती थी। इसके चलते कुछ कंपनियों ने दूसरा रास्ता निकाला और टाइल्स के लिए राजस्थान की मिट्टी का उपयोग करने लगे। हालांकि, अब भी अच्छे किस्म के और महंगे टाइल्स यूक्रेन की मिट्टी से ही तैयार होते हैं। हालांकि, अब यूक्रेन जंग की आग में घिर गया है तो वहां से मिट्टी का आयात काफी लंबे समय तक प्रभावित रहने की आशंका है