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खेती के सारे काम आने वाला सस्ता ई-ट्रैक्टर बनाने में सफल चौ.चरण सिंह कृषि विवि, हिसार

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (एचएयू) के कृषि इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी कालेज ने ऐसा ई-ट्रैक्टर बनाया है, जो सस्ता होगा।इससे आवाज़ भी कम होगी | यह लीथियम बैटरी से चलेगा |

इस क्षेत्र में निजी कंपनियां तो हाथ आज़मा ही रही हैं| लेकिन दावा है किस किसी सरकारी संस्थान ने पहली बार ई-ट्रैक्टर तैयार किया है। इलेक्ट्रिक ट्रैक्टर के परिचालन की लागत डीजल ट्रैक्टर के मुकाबले 32 प्रतिशत तक कम आती है।

लगभग 16.2 किलोवाट की बैटरी से चलने वाला यह ई-ट्रैक्टर लगातार पांच घंटे तक सफर कर सकता है। साथ ही फुल चार्ज बैटरी से 80 किलोमीट तक की यात्रा कर सकता है। डीजल ट्रैक्टर की तुलना में इसकी संचालन लागत बहुत कम है। 23.17 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम रफ्तार से चलने वाला यह ई-ट्रैक्टर 1.5 टन वजन लेकर चल सकता है।

इस ई-ट्रैक्टर में लगी लीथियम बैटरी को अभी चीन से मंगाया जाता है। इस बैटरी को नौ घंटे में सामान्य रूप से फुल चार्ज किया जा सकता है। साथ ही अगर फास्ट चार्जर सुविधा है तो चार घंटे में ही यह बैटरी फुल चार्ज हो जाती है। इस दौरान 19 से 20 यूनिट बिजली की खपत होती है।

एचएयू के विज्ञानी अब इस ट्रैक्टर का बैकअप आठ से नौ घंटे तक ले जाना चाहते हैं। इसके लिए अलग-अलग प्रकार की बैटरी व उनके कार्य पर शोध किया जा रहा है। साथ ही अभी सभी खर्चों को मिलाकर यह प्रोटोटाइप छह लाख रुपये का है क्योंकि इसकी बैटरी चीन से मंगानी पड़ती है। भारत में लीथियम बैटरी का उत्पादन और बड़े स्तर पर इन ई-ट्रैक्टरों का निर्माण होगा तो यह काफी सस्ते दामों में किसानों को मिल सकेगा।

डीजल ट्रैक्टर विभिन्न हार्सपावर के आते हैं। इस ई-ट्रैक्टर की क्षमता 16 हार्स पावर की है। यानि एक सामान्य 16 हार्स पावर का डीजल ट्रैक्टर जो कार्य कर सकता है वह सभी कार्य यह ई-ट्रैक्टर विकास करने की क्षमता रखता है। इससे खेती के प्रमुख कार्यों मसलन जोताई, बोआई, पलेवा (फसल के बाद खेत की मिट्टी पलटना) व थ्रेसिंग आदि के काम भी आसानी से किए जा सकते हैं।

डीजल ट्रैक्टर विभिन्न हार्सपावर के आते हैं। इस ई-ट्रैक्टर विकास की क्षमता 16 हार्स पावर की है। यानि एक सामान्य 16 हार्स पावर का डीजल ट्रैक्टर जो कार्य कर सकता है वह सभी कार्य यह ई-ट्रैक्टर विकास करने की क्षमता रखता है। इससे खेती के प्रमुख कार्यों मसलन जोताई, बोआई, पलेवा व थ्रेसिंग आदि के काम भी आसानी से किए जा सकते हैं। अभी तक इस ई- ट्रैक्टर की कीमत छह लाख रुपये है। मगर इंजीनियर्स का कहना है कि अगर इसे अधिक संख्या में बनाया जाएगा तो इसकी लागत को काफी कम किया जा सकता है।

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो बीआर कांबोज, के अनुसार किसी सरकारी संस्थान ने पहली बार ई-ट्रैक्टर तैयार किया है। पर्यावरण को सुरक्षित रखने और किसानों की लागत को कम करने के उद्देश्य से ई-ट्रैक्टर पर हमने कार्य शुरू किया था। अब ई-ट्रैक्टर बनकर तैयार है। आगे इसे हम इसकी क्षमता में विस्तार कर और भी उपयोगी बना रहे हैं। आने वाले समय में यह आठ से नौ घंटे लगातार चल सकेगा।

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