मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने एक बार फिर केंद्र पर वार किया है। भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र सरकार मनरेगा कोष के वितरण को लेकर राज्य के साथ भेदभाव कर रही है। उन्होंने दावा किया कि योजना के लिए केंद्र पर पश्चिम बंगाल का 6,000 करोड़ रुपए बकाया है।
पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ने मुर्शिदाबाद जिले के सागरदिघी में प्रशासनिक समीक्षा बैठक में कहा कि केंद्र सरकार बंगाल को मनरेगा फंड जारी नहीं कर रही है। जबकि बीजेपी शासित राज्यों को 100 दिनों की कार्य योजना के लिए फंड मिल रहा है। ममता ने सवाल उठाते हुए कहा– मनरेगा कार्यान्वयन में नंबर एक होने के बावजूद राज्य को इस तरह के भेदभाव का सामना क्यों करना पड़ रहा है? हम बिना किसी केंद्रीय सहायता के योजना चला रहे हैं।
विभिन्न योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए केंद्रीय टीमों को राज्य भेजने के मुद्दे पर भी मुख्यमंत्री ने केंद्र को घेरा। उन्होंने आरोप लगाया कि टीमों को राज्य सरकार को परेशान करने के लिए भेजा जा रहा है। छोटी-छोटी बातों पर केंद्रीय टीम आ रही है।
केंद्र सरकार ने इससे पहले बंगाल के लिए मौजूदा वित्त वर्ष में पांच करोड़ अतिरिक्त कार्य दिवस को मंजूरी दी थी| केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2022-23 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) योजना के लिए 73,000 करोड़ रुपये का अनुमानित बजट प्रदान किया है| वित्त वर्ष 2021-22 में योजना का संशोधित अनुमान 98,000 करोड़ रुपये था|
मनरेगा पर काम कर रहे नागरिक समाज संगठनों द्वारा पश्चिम बंगाल में 25 जुलाई से 27 जुलाई, 2022 के बीच एक तथ्यान्वेषी जांच में पाया गया कि श्रमिकों को 26 दिसंबर, 2021 से किए गए काम के लिए भुगतान नहीं किया गया है।
इसके अलावा, टीम के अधिकांश श्रमिकों ने शिकायत की कि काम करने की इच्छा के बावजूद मनरेगा के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में कोई काम नहीं दिया गया है। जिन्हें काम मिला है उन्हें भी छह से 12 दिन का ही काम मिला है।
देश में काम करने वाले परिवारों का लगभग 10 प्रतिशत और कुल सक्रिय श्रमिकों का 11 प्रतिशत पश्चिम बंगाल से थे।