उत्तर प्रदेश में पहली अक्टूबर से धान की खरीद शुरू होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है। खास कर क्रय केंद्रों पर उपज बेचने आने वाले किसानों को इस बार किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उनके खातों में पारदर्शी तरीके से धान की राशि का भुगतान किया जाएगा। वहीं, चावल मिलों को आवंटन सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा। हालांकि, पिछले साल टारगेट से पीछे रह जाने के बाद भी इस बार 70 लाख मीट्रिक टन धान खरीद की उम्मीद है।
मिली जानकारी अनुसार खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने कहा है कि इस वर्ष हम बेहतर दक्षता और अधिक पारदर्शिता के साथ धान की खरीद करेंगे। उन्होंने कहा कि इस बार 1820 चावल मिलों को उनकी ट्रैक रिकॉर्ड के आधार पर धान का उचित आवंटन भी सुनिश्चित होगा। खरीद केंद्रों पर इंटरनेट कनेक्टिविटी, कंप्यूटर, लैपटॉप, आईपैड और ई-पॉप मशीनों से लैस करने का प्रस्ताव है।यदि ऐसा हो जाता है कि किसानों को क्रय केंद्रों पर किसी तरह कोई परेशानी नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि बीते साल उत्तर प्रदेश में तय लक्ष्य से भी कम न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद की जा सकी थी।पिछले साल सरकार 70 लाख मीट्रिक टन के लक्ष्य के मुकाबले 8 लाख किसानों से 11,745 करोड़ रुपये का सिर्फ 53.79 लाख मीट्रिक टन धान ही खरीद पाई थी। पश्चिमी यूपी में 1 अक्टूबर से और पूर्वी यूपी में 1 नवंबर से धान की खरीद शुरू होगी।
उपलब्ध आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल लगभग 14 लाख किसानों ने धान खरीद को लेकर रजिस्ट्रेशन कराया था, लेकिन केवल 8 लाख किसानों ने ही धान बेचा था। अधिकांश किसानों ने रजिस्ट्रेशन कराने के बाद भी ओपन मार्केट में धान बेचना पसंद किया था। इस बार पिछले साल से अधिक मात्रा में धान की खरीद किए जाने की उम्मीद है।
क्रय केंद्रों पर उपज बेचने आने वाले किसानों को इस बार किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उनके खातों में पारदर्शी तरीके से धान की राशि का भुगतान किया जाएगा। वहीं, चावल मिलों को आवंटन सुनिश्चित करने के लिए आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा.।