घटते वन्य क्षेत्र और लकड़ी के बढ़ते इस्तेमाल को कम करने में बांस काफी मददगार है इसकी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकारी नर्सरी से पौध निशुल्क दिए जाते हैं|बांस की करीब 136 प्रजातियां हैं| अपने देश में 13.96 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में बांस मौजूद है| भारत में व्यावसायिक तौर पर इस्तेमाल के लिए 10 किस्मों की खेती सबसे ज्यादा होती है| बांस वैसे तो घास की श्रेणी में आता है| लेकिन इसके गुण और आकार कई समस्याओं के समाधान की ओर ले जाते हैं| पर्यावरण संरक्षण के साथ ही किसान भरपूर मुनाफे के लिए बांस की खेती कर सकते हैं|
सबसे खास बात है कि बांस की खेती करने के लिए खाद और कीटनाशक की जरूरत भी नहीं पड़ती है| एक हेक्टेयर में खेती कर किसान 7 लाख रुपए तक की आमदनी कर सकते हैं|
केंद्र सरकार की मंशा किसानों को बांस के उत्पाद न के लिए प्रेरित कर के इसके सामान और निर्यात को बढ़ावा देना है| दुनिया में बांस उत्पादन में अग्रणी होने के बावजूद भारत का निर्यात ना के बराबर है| देश में बांस की खेती के प्रसार को देखते हुए मोदी सरकार 2014 से लगातार काम कर रही है| इसके लिए केंद्र सरकार ने साल 2017 में भारतीय वन अधिनियम 1927 का संशोधन करके बांस को पेड़ों की श्रेणी से हटा दिया| इसी कारण अब कोई भी बांस की खेती और उसके उत्पादों की खरीद बिक्री कर सकता है|
इसे बढ़ावा देने के लिए सितंबर 2020 में 9 राज्यों मध्य प्रदेश, असम, कर्नाटक, नगालैंड, त्रिपुरा, ओडिशा, गुजरात, उत्तराखंड और महाराष्ट्र में 22 बांस क्लस्टरों की शुरुआत की गई है|
बांस की खेती के लिए पहले नर्सरी तैयार कर पौध लगाई जाती है. 6.5 से 7.5 के बीच पीएच मान वाली दोमट मिट्टी में बांस की नर्सरी को लगाना सही रहता है| नर्सरी तैयार करने के लिए मार्च के महीने को सबसे अच्छा माना जाता है|
बुवाई से पहले गहरी जुताई कर क्यारियां बनाकर बुवाई करनी चाहिए| हल्की सिंचाई करने की सलाह दी जाती है| बुवाई के पहले सप्ताह में ही पौध निकलने लगती है| पौधे जब कुछ बड़े हो जाएं तो इनकी रोपाई करनी चाहिए|
इसके अलावा गैर पारंपरिक तरीकों से भी बांस की खेती की जाती है, जिसमें जड़ को काटकर लगाना, कलम कटिंग से पौध तैयार करना और शाखाओं की कटिंग लगाना शामिल है|
बांस लगातार मुनाफा देने वाली फसल है| इसे खेतों में उगाकर कृषि से अधिक पैसा कमाया जा सकता है| एक हेक्टेयर के खेत में 625 पौधे 4 से 4 मीटर की दूरी पर लगाकर पांचवें वर्ष से 3125 बांस हर साल लिए जा सकते हैं| वहीं किसान 8वें साल से 6250 बांस प्रति हेक्टेयर उपज ले सकते हैं|
इसे बेचकर किसान 5 से 7 लाख रुपए प्रति हेक्टेयर मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं|
किसान दोहरे मुनाफा के लिए बांस के साथ अन्य कृषि फसलों को भी लगा सकते हैं| बांस के साथ अदरक, हल्दी, सफेद मुस्ली और इसी तरह की अन्य फसलें भी लगा सकते हैं| यह 20 से 50 हजार रुपए तक अतिरिक्त कमाई का जरिया बन सकता है|
बांस की खेती में किसी प्रकार के खाद और कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती| बांस का पौधा भूमि संरक्षण का काम भी करता है| यह भूमि के कटाव को रोकता है| एक बार पौधा स्थायी हो जाए तो यह तब तक नहीं मरता जब तक की अपनी आयु पूरी न कर ले| वैसे बांस की आयु 32 से 48 वर्ष मानी जाती है|
चीन के बाद बांस की खेती के मामले में भारत दूसरा सबसे बड़ा देश है | सरकार इस योजना के अंतर्गत किसानों को बांस की खेती करने पर 50 हजार रुपये की सब्सिडी देती है| छोटे किसान को एक पौधे पर 120 रुपये की सब्सिडी देने का प्रावधान है|
भारत के कई राज्यों के किसान बंजर भूमि या मौसम की मार से परेशान रहते हैं. ऐसे में बांस की खेती उनके लिए वरदान साबित हो सकती है. विशेषज्ञों के अनुसार बांस के पौधों के लिए किसी खास तरह की उपजाऊ जमीन की आवश्यकता नहीं होती|इसकी खेती कहीं भी की जा सकती है. राष्ट्रीय बांस मिशन के अनुसार में देश में इस समय 136 बांस की प्रजातियों की खेती की जा रही है, जिनमें से 125 स्वदेशी और 11 विदेशी प्रजातियां हैं| कृषि मंत्रालय की वेबसाइट के अनुसार भारत हर साल 13.96 मिलियन टन बांस का उत्पादन भी करता है|
कृषि आय के पूरक के लिए भूमि और जलवायु परिवर्तन के प्रति लचीलापन में योगदान के लिए|उद्योगों के लिए गुणवत्तापूर्ण कच्चे माल की आवश्यकता की उपलब्धता के लिए बांस की खेती को बढ़ावा देना| सामुदायिक भूमि, कृषि योग्य बंजर भूमि, और सिंचाई नहरों, जल निकायों पास बांस की खेती को बढ़ावा देने की कोशिश करना|
आमतौर पर बांस की खेती तीन से चार साल में तैयार होती है| किसान चौथे साल में कटाई शुरू कर सकते हैं| इसके अलावा खास बात ये भी है कि अगर आप 2.5 मीटर की दूरी पर एक-एक पौधे को लगाते हैं, तो बीच में खाली पड़ी जगहों पर आप पशुओं के लिए चारा या कोई अन्य फसल उगा सकते हैं| इसके अलावा आप खेतों के मेढ़ों पर भी इसके पौधे लगा सकते हैं| साथ ही यह एक बार लगाने के बाद 40-50 साल मुनाफा देने वाला पौधा है| लगभग इतने साल तक ये पौधा जिंदा रहता है| हर कटाई के बाद बांस का पौधा फिर से विकास करने लगता है| साथ ही इसकी खेती से आप हर साल एक हेक्टेयर में कुल 3 से 4 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा सकते हैं|
सरकार जिस तरह इस क्षेत्र को लेकर काम कर रही है| आने वाले समय बांस किसानों के लिए बेहद अच्छा अवसर आने वाला है| देश के पहाड़ी राज्यों में बांस का उपयोग भवन निर्माण सामग्री/निर्माण के रूप में किया जाता है| इसके अलावा जैसे निर्माण, फर्नीचर, कपड़ा, भोजन, ऊर्जा उत्पादन, हर्बल दवा आदि. इसके अलावा बांस से कई और प्रोडक्ट बनाए जा रहे हैं| साथ गही सजावट के सामान, इयरबड्स अन्य उत्पादों को बनाने में बांस की लकड़ी को तरजीह दी जा रही है|
सरकार का उद्देश्य है कि बांस की लकड़ियों के उत्पाद को बढ़ावा देकर प्लास्टिक के सामान से लोगों की निर्भरता कम की जा सके| ऐसे में इसका बाजार आसानी से उपलब्ध है| आने वाले समय में इसका बाजार और बड़ा हो सकता है| बांस आधारित आजीविका और रोजगार को भी बढ़ावा देने पर भी काम किया जा रहा है| सरकार के इस मिशन से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को फिर जीवित करने और किसानों की आय को दोगुनी करने के लिए कदम बढ़ाया जा रहा है|