भारतीय जीरे का चीन एक बड़ा खरीदार है | अभी तक भारतीय कारोबारियों को चीन से कोई बड़ा आर्डर नहीं मिला है | इसकी वजह जीरे की फसल पर कीटनाशकों का इस्तेमाल करना है| इस वजह से जीरे के भाव में तेजी नहीं हैं |
जीरा का निर्यात पिछले कुछ महीनों में काफी धीमा हो गया है, क्योंकि चीन जो कि सबसे बड़ा खरीदार अब मैलाथियान और कार्बोसल्फान सहित नौ कीटनाशकों से मुक्त जीर चाहता है। इसके अलावा, कम फसल की वजह से भारतीय जीरे की कीमतों में बढ़ोतरी ने भी विदेशी खरीदारों कोकी रुचि कम कर दी है।
अप्रैल के दौरान जीरे की औसत कीमतें इस साल गुजरात, राजस्थान में 67 प्रतिशत बढ़कर 204 रुपए प्रति किलोग्राम पहुंच गईं, जबकि पिछले साल अप्रैल में यह 122 रुपए थी।
कारोबारियों का कहना है कि जीरा निर्यात कमजोर है। पिछले तीन महीनों से शिपमेंट में लगभग 45 हजार टन की कमी आई है। हालांकि, पिछले कुछ दिनों में कुछ सौदे हुए हैं और जून के बाद से मांग में कुछ सुधार देखने को मिल सकता है।
फैडरेशन ऑफ इंडियन स्पाइस स्टेकहोल्डर्स के आंकड़ों के अनुसार, कैलेंडर वर्ष 2021 के दौरान जीरा निर्यात 13 प्रतिशत घटकर 2.216 लाख टन रहा, जो पिछले वर्ष 2.548 लाख टन था। निर्यात में अक्टूबर पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 50 फीसदी कम, नवंबर में 48 फीसदी और दिसंबर 56 फीसदी की भारी गिरावट देखी गई, जिसका मुख्य कारण कीटनाशक की वजह से चीन को शिपमेंट में गिरावट है। .
सबसे बड़ा जीरा उत्पादक भारत अपने उत्पादन का लगभग 52-55 प्रतिशत निर्यात करता है। फैडरेशन के आंकड़ों के अनुसार, जीरा का उत्पादन मुख्य रूप से गुजरात और राजस्थान में होता है, और 2021-22 के दौरान उत्पादन पिछले साल के 4.78 लाख टन की तुलना में 37 प्रतिशत कम होकर 3.01 लाख टन होने की संभावना है। कुल मिलाकर रकबा लगभग 28 प्रतिशत कम रहा क्योंकि किसान सरसों जैसी वैकल्पिक फसलों की ओर मुड़ें। साथ ही, प्रतिकूल जलवायु के कारण पैदावार में लगभग 12.7 प्रतिशत की गिरावट आई है।
गुजरात में उत्पादन पिछले साल के 2.07 लाख टन की तुलना में 44 प्रतिशत कम 1.16 लाख टन रहा। राजस्थान में, उत्पादन पिछले वर्ष के 2.70 लाख टन की तुलना में 32 प्रतिशत घटकर 1.84 लाख टन रहा।
भारतीय निर्यातकों को कीटनाशक मुक्त जीरा बाहर भेजने में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इसकी उपलब्धता काफी कम है। स्पाइसएक्जिम के योगेश मेहता ने कहा कि धीरे-धीरे हर उपभोग करने वाला देश कीटनाशक मुक्त जीरा पर जोर दे रहा है और यह एक बड़ा सवाल है। उन्होंने कहा कि यूरोप के 31 देशों के अलावा सऊदी अरब, मोरक्को, मिस्र और चीन जैसे देश कीटनाशक मुक्त जीरे की मांग कर रहे हैं।
मेहता का कहना है कि चीन, जो लगभग 60-70 हजा टन जीरा खरीदता है, इस साल अब तक बाजार में नहीं आया है। कीटनाशक की समस्या के कारण, हमें चीन से कोई मांग नहीं दिख रही है। हमारा दूसरा सबसे बड़ा खरीदार बांग्लादेश अफगानिस्तान से अपनी जरूरत पूरी कर रहा है। चूंकि पिछले साल की तुलना में भारतीय जीरे की कीमतों में वृद्धि हुई है। ऐसे में खरीदार इसे एक इन्वेंट्री के रूप में नहीं रखना चाहते हैं और जरूरत-आधारित खरीदारी कर रहे हैं।
उंझा मंडी में जीरा की कीमतें मार्च की शुरुआत में लगभग 180 रुपए प्रति किलोग्राम से बढ़कर अप्रैल के मध्य में 220 रुपए के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं और अब गिरकर लगभग 205 रुपए प्रति किलोग्राम के स्तर तक आ गई हैं। कम फसल के अलावा, सटोरियों को भी बिना किसी मांग के कीमतों को बढ़ाते हुए देखा जा रहा है।