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राजस्थान : जरुरतमंदों को सस्ता गेहूं मिलने पर आयी ‘संकट’ की धूप

केन्द्र सरकार की ओर से गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के बाद अब गेहूं की कीमतों में बढ़ोतरी का सिलसिला तो थम गया है लेकिन दूसरी समस्या खड़ी हो गई है| राजस्थान में हुई सरसों की बंपर पैदावार के कारण गेहूं का बफर स्टॉक जमा नहीं हो पाया है| इसके चलते साठ फीसदी आबादी के सामने राशन का संकट खड़ा हो सकता है| सहकारिता के गोदामों में इस बार अभी तक पर्याप्त बफर स्टॉक जमा नहीं हो पाने के कारण सहकारिता मंत्री ने केन्द्र सरकार से न्यूनतम समर्थन मूल्य की दरें बढ़ाकर भंडारणों में खाद्यान्नों का पर्याप्त स्टॉक करने की अपील की है|

राजस्थान में इस बार सरसों की बंपर पैदावार होने के कारण गेंहूं का रकबा बेहद कम रह गया है| सर्वाधिक गेहूं उत्पादन करने वाले राज्यों में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्य हैं| राजस्थान में इस बार लगभग 110 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन हुआ है| गेहूं के निर्यात के बाद अचानक गेहूं की कीमतों में तेजी से उछाल आया. फिर केन्द्र सरकार ने जब गेहूं के निर्यात पर रोक लगाई तो कीमतों में सुधार होना शुरू हुआ |

मंडी कारोबारियों का कहना है की इस बार न तो गेहूं मंडियों में पहुंचा और न ही भारतीय खाद्य निगम के गोदामों में इसका पर्याप्त स्टॉक जमा हो पाया है| केन्द्र सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद कर सरसों, चना और गेंहूं के बफर स्टॉक के प्रयास शुरू किए गए, लेकिन बाजार में कीमतों में आई अचानक तेजी ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद का पूरा गणित खराब कर दिया| इस बार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर न तो चना और न ही सरसों का पर्याप्त स्टॉक जमा हो पाया है|

जयपुर मंडी के व्यापारिक संगठनों का कहना है की जरूरी खाद्यान्नों के स्टॉक के लिए बनाए गए भारतीय खाद्य निगम के भंडारण और गोदाम भी खाली रह गए| राज्य में मंडियों में एवं सहकारिता विभाग के गोदामों में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का स्टॉक नहीं होने पर सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने चिंता जताई है| आंजना ने कहा है कि बचे खुचे किसानों से खाद्यान्नों की खरीद के लिए केन्द्र सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य की दरों को बढ़ाना होगा| ताकि एमएसपी केन्द्रों पर पर्याप्त खरीद कर एफसीआई के भंडारणों और गोदामों में जरूरी खाद्यान्नों के बफर स्टॉक को पर्याप्त मात्रा में रखा जा सके|

राजस्थान में इस बार सरसों की बंपर पैदावार के कारण इसके उत्पादन में डेढ़ सौ फीसदी से ज्यादा की वृद्धि दर्ज हुई है| लेकिन इसका नकारात्मक परिणाम ये रहा है कि राजस्थान में इस बार गेहूं का रकबा पिछले बरसों की तुलना में बेहद कम रहा है| राजस्थान कृषि मंडी व्यापारी समिति संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है की राजस्थान में इस बार मात्र 110 लाख मैट्रिक टन गेहूं का उत्पादन ही हो पाया है| राजस्थान में साठ लाख मैट्रिक टन गेहूं के भंडारण की आवश्यकता होती है|

प्रदेश की साठ फीसदी से ज्यादा आबादी अपने भोजन के लिए एफसीआई के भंडारों और गोदामों में जमा बफर स्टॉक में मौजूद खाद्यान्नों से ही अपना पेट भरती है| गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के साथ साथ केन्द्र तथा राज्य सरकार की राशन वितरण प्रणाली, आंगनबाड़ी में पोषाहार वितरण तथा मिड-डे-मील योजनाओं के लिए भी खाद्यान्नों की सप्लाई भंडारों व गोदामों में जमा बफर स्टॉक से ही की जाती रही है|

केवल एक लाख मैट्रिक टन गेहूं का ही स्टॉक हो पाया है
राजस्थान में गेहूं की फसल आते ही किसानों ने उसे ऊंची कीमतों पर व्यापारियों को बेच दिया| इस बार किसानों की उपज से आए गेहूं विदेशों में भेज दिए जाने के कारण हमारे भंडारण एवं गोदामों खाली रह गए| गोदामों में साठ लाख मैट्रिक टन के बफर स्टॉक की जगह एक लाख मैट्रिक टन गेहूं का ही स्टॉक हो पाया है| जबकि पूरे वर्ष इन्हीं एफसीआई के भंडारों और गोदामों में खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक नहीं होने के कारण साठ फीसदी आबादी के पेट पालने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है|

केन्द्र सरकार की ओर से गेहूं के निर्यात पर रोक लगाने के कारण गेहूं की कीमतों में आये ठहराव से जरुरतमंद लोगों को फिलहाल महंगे गेहूं खरीदने से तो मुक्ति मिल गई है| लेकिन मंडियों और एफसीआई के गोदामों में गेहूं, सरसों और चना सहित प्रमुख खाद्यान्नों के बफर स्टॉक की किल्लत ने सहकारिता विभाग के साथ साथ खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के माथे पर पसीना ला दिया है|

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