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बिहार : 28 हजार टन मशरूम उत्पादन कर नंबर एक बना यह राज्य

राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड की तरफ से जारी किए गए आंकड़ों की मानें तो बिहार में 2021-22 में 28,000 टन से अधिक मशरूम का उत्पादन हुआ है। बिहार के मशरूम की मांग पूर्वोत्तर के राज्यों साथ ही यूपी और झारखंड में भी बहुत है।

बिहार में मशरूम की इन किस्मों का होता है उत्पादन
बिहार में किसान बटन, ऑएस्टर और दूधिया मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। यहां अधिकांश किसान मशरूम की खेती को अपना रहे हैं। बता दें कि बिहार में 60 से 70 हजार के करीब किसान इसकी खेती में लगे हुए हैं। यहां मशरूम की खेती, व्यवसायिक खेती के रूप में की जा रही है। अभी इस खेती से बिहार में चार हजार करोड़ से पांच हजार करोड़ रुपए तक बिक्री हो चुकी है।

बिहार में मशरूम की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी का लाभ प्रदान किया जाता है। योजना के तहत पूरी योजना लागत की 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाती है। यदि आप 5 लाख रुपए लगाकर मशरूम उत्पादन करते हैं तो आपको 50 प्रतिशत यानि 2.5 लाख रुपए तक मदद मिल सकती है। योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा क्रेडिट लिंक्ड बैंक इंडेड आधारित 50 प्रतिशत अनुदान उपलब्ध कराया जाता है, जिसका लाभ कोई भी इच्छुक किसान प्राप्त कर सकते हैं।

बिहार की जलवायु विभिन्न प्रकार के मशरूम उत्पादन के लिए उपयुक्त है। जैसे- ओयस्टर मशरूम की खेती के लिए 20 से 30 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। वहीं बटन मशरूम की खेती 15 से 22 डिग्री सेंटीग्रेड चाहिए होती है। इसी प्रकार वृहत / स्वेट दूधिया की खेती 30 से 80 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान की आवश्यकता होती है। बिहार में मशरूम की विभिन्न प्रजातियों की खेती कम लागत में आसानी से की जा सकती है, क्योंकि यहां की भौगोलिक स्थिति मशरूम की खेती के लिए काफी अच्छी है। यही कारण है कि आज यहां के किसान मशरूम की व्यवसायिक स्तर पर खेती करके अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

प्राप्त आकड़ों के अनुसार वर्ष 2010 में बिहार में 400 टन बटन मशरूम एवं 80 टन ओयस्टर मशरूम का उत्पादन होता था, जो दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। और आज बिहार में सबसे अधिक 28,000 टन मशरूम उत्पादन हो रहा है। बटन मशरूम के उत्पादन में सामान्य पुआल की कुट्टी एवं गेहूं भूसा का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन बटन मशरूम, श्वेत दूधिया मशरूम के व्यावसायिक उत्पादन के लिए एक विशेष प्रकार के कम्पोस्ट का निर्माण किया जाना जरूरी होता है।

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