उत्तराखंड : सगंध खेती से 21 हजार से ज्यादा किसान जुड़े – Khalihan News
Breaking News

उत्तराखंड : सगंध खेती से 21 हजार से ज्यादा किसान जुड़े

उत्तराखंड की जमीन ऊंची नीची है| खेती के लिए जगह कम है| छोटे खेत ज्यादा मेहनत मांगते हैं| नौजवानों के दूरदराज इलाकों में पलायन के बाद, यहां खेती बूढ़े लोगों की मजबूरी बन गई है| सरकार इस तरफ अब ध्यान दे रही है| बंजर जमीन में अब सगंध पौधों की खेती से आमदनी बढ़ रही है|

उत्तराखंड अब केसर, अखरोट और औषधियों उपज की वजह से कारोबारियों के आकर्षण का नया केंद्र है| सरकार की मदद से सगंध पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है| इन पौधों को पैदा करने के लिए ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती है|

उत्तराखंड के अल्मोड़ा के तीन ब्लॉक में केसर की खेती शुरू हुई थी| गोविन्द बल्लभ पंत, हिमालयी पर्यावरण विकास संस्थान और उद्यान विभाग के वैज्ञानिकों से मिली हरी झंडी के बाद बल्ब यानी बीज रोपे गये थे| इसके लिए कश्मीर से 3 क्विंटल केसर के बीज मंगवाकर शीतलाखेत में 5 और रानीखेत में 2 काश्तकारों को दिये गए थे| इसी तरह से पीरूमदारा गांव के एक किसान भी केसर की खेती करके अधिकारियों को चौंका दिया|

उपजाए जा रहे पौधों के व्यवसाय का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि महीने में 7 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार हो रहा है। सालाना टर्नओवर 85 करोड़ रुपये से अधिक का है।

प्रदेश में खेती को मुनाफे में लाने के लिए सरकार का क्लस्टर आधारित सगंध फसलों की खेती को बढ़ावा देने पर जोर है। पहाड़ों में खाली पड़ी बंजर भूमि पर सगंध पौधों की खेती कर किसान ज्यादा आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। किसानों के उत्पादित तेल की मार्केटिंग के लिए सरकार ने इंतजाम किया है। वहीं, 22 प्रकार के सुगंधित तेलों का सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया है। उत्तराखंड सगंध फसलों से निकलने वाले इन तेलों की एमएसपी निर्धारित करने वाला देश का पहला राज्य है।

About admin

Check Also

जमींदोज होता जोशीमठ: एसएआर तकनीक से आकलन से सामने आई भयावह तस्वीर

उत्तराखंड के चमोली जिले में खतरनाक स्थान पर बसे जोशीमठ में करीब दो साल पहले …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *