खुदरा भाव घटने की बजाय बढ़ ही रहे हैं। केंद्र सरकार ने प्याज की बढ़ती कीमतों को काबू में करने के लिए 19 अगस्त को इसके निर्यात पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगा दिया था। इसके बाद बफर स्टॉक के लिए 2 लाख टन अतिरिक्त प्याज 2,410 रुपये क्विंटल के भाव पर खरीदने के साथ ही 25 रुपये किलो के रियायती भाव पर प्याज की खुदरा बिक्री शुरू की है।
लगातार बारिश से प्याज़ कीमत टमाटर की तरह से बढ़ रही हैं। खरीददार चर्चा करते हैं कि प्याज भी पर टमाटर की महंगाई का रंग चढ़ कर इसे लाल कर देगा। उत्तर भारत में प्याज के दाम चुनावी नतीजों को प्रभावित करने की भूमिका अदा करते हैं। बीते तीन साल से प्याज़ के दामों से चुनावी भूमिका पर असर न पड़ा हो लेकिन किसानों की आर्थिक स्थिति को कमजोर जरूर किया है।
केंद्र सरकार ने 19 अगस्त को प्याज के निर्यात पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया था। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों के विभाग के अनुसार 19 अगस्त को देश भर में प्याज की औसत खुदरा कीमत 30.72 रुपये किलो थी, जो आज बढ़कर 33.39 रुपये किलो हो गई। लखनऊ के खुदरा बाजार में औसत खुदरा भाव 30 रुपये से बढ़कर 35 रुपये, मुंबई में 29 रुपये से बढ़कर 33 रुपये किलो, बेंगलूरू में भाव 33 रुपये से बढ़कर 42 रुपये किलो, जबकि इस दौरान दिल्ली में खुदरा भाव 37 रुपये किलो पर स्थिर हैं।
सरकारी सख्ती से दाम घटने की उम्मीद पूरी नहीं हुई, बल्कि दाम बढ़ गए। इस सख्ती का मंडियों में भी प्याज के थोक भाव पर खास असर नहीं पड़ा। महाराष्ट्र की पिंपलगांव मंडी में 19 अगस्त को प्याज का थोक भाव 700 से 3,000 रुपये था, आज भी यही भाव है। दिल्ली की आजादपुर मंडी में इस दौरान प्याज के ग्रेड के हिसाब से भाव 1,000 से 2,700 रुपये प्रति क्विंटल के बीच बने हुए हैं।
सरकार ने प्याज सस्ता करने की उम्मीद में यह सख्ती की थी। लेकिन खुदरा में भाव तेज बने हुए हैं। जिससे अब तक उपभोक्ताओं को राहत नहीं मिली है, जबकि इस सख्ती से किसानों को अच्छी कीमत न मिलने से नुकसान जरूर हो रहा है। निर्यात शुल्क व सस्ती दर पर प्याज बेचने के सरकारी उपायों का फिलहाल मंडी में प्याज की कीमतों पर खास फर्क नहीं पड़ा है।