हरियाणा में एक लाख एकड़ भूमि पर कृषि विभाग तथा 4 लाख एकड़ भूमि पर यूपीएल कंपनी सीएसआर फंड से डीकम्पोजर दवा का छिड़काव करेगी। इसके छिड़काव से धान फसल के अवशेष आसानी से खत्म हो जाएंगे और प्रदूषण भी नहीं फैलेगा, जिससे किसानों को आगामी फसल की जुताई के समय किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पडे़गा।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए धान के अवशेष जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के लिए जिला स्तर पर उपायुक्त सक्रिय होकर कार्य करें। इसके अलावा, वार्षिक योजना भी जल्द से जल्द बनाकर मुख्यालय को भेजने के भी निर्देश दिए।
उन्होंने कहा कि इस वर्ष कृषि विभाग धान की पराली के अवशेष खत्म करने के लिए केयर प्रो का डिकम्पोजर भी उपयोग में लाया जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिक धान वाले जिले अम्बाला, फतेहाबाद, जींद, कैथल, करनाल, कुरूक्षेत्र व सिरसा में फसल अवशेषों की आगजनी पर विशेष ध्यान रखा जाए।
उद्योगपतियों को भी किया जाएगा जागरूक मुख्य सचिव ने कहा कि उद्योगों में पराली से बनने वाले बायोमेस ईंधन का उपयोग करने के लिए उद्योगपतियों को जागरूक करने हेतु सेमिनार आयोजित किए जाएं। इन सेमिनारों में उन्हें सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनुदान व अन्य लाभों बारे अवगत करवाया जाएगा।
केन्द्र सरकार ने राजधानी के आस-पास के इलाको में किसानों द्वारा पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए उपग्रह आधारित तकनीक के इस्तेमाल पर अम्ल करने का विचार बनाया है| पंजाब और हरियाणा में किसानों द्वारा फसलों के अवशेष के रूप में बची पराली को बड़े पैमाने पर जलाने से उठा धुआं दिल्ली में प्रदूषण जनित धुंध का कारण बन रहा है| इस पर रोक लगाने के तमाम उपाय निष्प्रभावी साबित होने के बाद केन्द्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय को उपग्रह से निगरानी करने का उपाय, अपनाना पड़ा है|