भारत में इसके उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है| लेकिन अगर विदेशों में व्यापार की बात होगी तो उसमें महाराष्ट्र की हिस्सेदारी सबसे अधिक है| कृषि विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक यहां 44,000 हेक्टेयर क्षेत्र में केले की खेती होती है| जिसमें से आधे से अधिक क्षेत्र अकेले जलगांव जिले में है|
जलगांव में इन दिनों केला उत्पादक किसान संकट में नजर आ रहे हैं| केला-उत्पादकों का कहना है कि वे बिजली कटौती होने के कारण बागों को पर्याप्त पानी नहीं दे पा रहे हैं| जिसकी वजह से फसल खराब होने की आशंका है| जलगांव के भुसावल का केला मशहूर है|
बिजली कटौती ने केले के नए बागानों को प्रभावित किया है| तहसील में हर साल लगभग 22 हजार हेक्टेयर से अधिक एरिया में केले का उत्पादन होता है| जलगांव जिले के पास है केले का जीआई यानी जियोग्राफिकल इंडीकेशन टैग है| जिसकी वजह से यहां के किसान इसे बड़े पैमाने पर निर्यात करते हैं| अब कृषि पंपों को अपर्याप्त बिजली आपूर्ति के कारण केला उत्पादक वर्तमान में केले की नई फसल लगाने में डर रहे हैं| किसानों का कहना है कि अगर ऐसा ही रहा तो आने वाले समय मे केले की खेती कैसे करेंगे|
तापमान में लगातार बढोत्तरी होने का असर भी केले पर पड़ता है। निर्यात के लिए पौधे से अलग किए जाने के बाद 6 घंटे के भीतर प्री कूलिंग प्रक्रिया की जाती है, जिससे केला 50 दिन तक खराब नहीं होता है। लेकिन जलगांव में इसकी सुविधा अब तक नहीं मिल रही है। प्री कूलिंग के लिए केलों को नाशिक ले जाना पड़ता है।
इसके अलावा केले के तने से फायबर धागे और फर्टिलाइजर बनाए जाते हैं, जबकि फल से चिप्स, पापड़, आटा और शराब भी बनाए जाते हैं। लेकिन जिले में ऐसा कोई भी कारखाना नहीं है। जलगांव में केवल चिप्स बनाने के लिए कुछ ही कुटीर उद्योग चल रहे हैं।