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झारखण्ड : गुमला जिले में रागी की 10 हज़ार हेक्टेयर में खेती कराने की योजना

जिलास्तर पर रागी के उत्पाद को बढ़ाने की दिशा में कार्य करने की योजना है| जिले के लगभग पांच हजार परिवारों को रागी के उत्पादन के कार्यों से जोडा जायेगा| रागी उत्पादन हेतु प्रशिक्षण दिलवाते हुए प्रसंस्करण भी सुनिश्चित करने पर विशेष बल दिया गया है|

झारखण्ड का गुमला जिला, रागी (मंडुवा) की उपज में अव्वल है| इस वर्ष गुमला जिले में 3500 हेक्टेयर भूमि में रागी की खेती की गयी थी, जिसमें गुमला की 4500 मीट्रिक टन रागी का उत्पादन कर प्रदेश में शीर्ष स्थान प्राप्त किया |

मधुमेह रोगियों के लिए मड़ुवा के आटे की रोटी फायदेमंद है। उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। जिन लोगों को कब्ज की शिकायत हो उनके लिए भी यह अच्छा है। साइटिका या अर्थराइटिस के मरीजों के लिए यह उपयोगी साबित हुआ है।

मड़ुवा अनाज में कई पोषक तत्वों की प्रचुरता है। इसमें 50 से 60 प्रतिशत कैल्शियम है। शुगर की मात्रा कम होती है वहीं फाइबर की मात्रा अधिक होती है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन, ट्रिपलीन, आयरन जैसे पोषक तत्व हैं जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद हैं। इसका उपयोग दलिया, कई अनाजों के मिश्रण का आंटा, बिस्कुट सहित कई उत्पादों में हो रहा है। अधिकांश कंपनियां सुगर फ्री उत्पादों में मड़ुवा का इस्तेमाल कर रही हैं।

झारखंड का मौसम और जलवायु मड़ुआ की खेती के लिए काफी उपयुक्त है| इसकी खेती खरीफ मौसम में टांड़ भूमि में 30 जून तक की जाती है | इसकी खेती में कम सिंचाई, उर्वरक और लागत की जरूरत होती है. इसमें रोग और कीट का प्रकोप बहुत कम है|

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