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भारतीय सैनिकों को भी परोसा जायेगा- मोटा अनाज

लगभग 50 सालों के बाद अब फिरसे सैनिकों को यह परंपरागत मोटा अनाज दोबारा से खाने को मिलेगा | पांच दशकों पहले सैनिकों को जो राशन मिलता था उसमें मोटा अनाज शामिल था |

करीब 50 साल पहले उसकी जगह गेंहू के आटे ने ले ली और फिर सैनिकों को राशन में मोटे अनाज का दौर खत्म हो गया | सेना अब फिर से मोटे अनाज को अपने आहार में शामिल कर रही है.| सेना के मुताबिक अब हर रैंक के अधिकारी और जवानों के खाने में मोटा अनाज अनिवार्य किया जाएगा | वहीं सेना ने मोटे अनाज के आटे को खरीदने के लिए सरकार से अनुमति मांगी है |

भारतीय सैनिकों के लिए साल 2023-24 में और इससे आगे के लिए जो भी गेहूं का आटा और चावल खरीदा जाएगा | वह कुल राशन का केवल 25 प्रतिशत ही होगा, इससे अधिक नहीं. सैनिकों को प्राथमिकता के आधार पर ज्वार, रागी और बाजरा का आटा दिया जाएगा | साथ ही सेना ने सलाह जारी की है कि कैंटीन में किसी भी कार्यक्रमों में भी मोटे अनाज का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाएगा |

सेना की कैंटीन के जरिए मोटे अनाज को भी शामिल किया जा रहा है | वहीं इसको लेकर शॉपिंग कॉम्पलेक्स में भी मोटे अनाज के लिए अलग से कॉर्नर बनाए जा रहे हैं | साथ ही शिक्षण संस्थानों में इसके लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है |

भारत सरकार के प्रयासों से इस साल को ‘इंटरनेशनल मिलेट्स ईयर’ के तौर पर मनाया जा रहा है | मोटा अनाज भारत की परंपरागत फसलों में बहुत पहले से ही शामिल है | यह भारतीय आबोहवा में काफी आसानी से पैदा हो जाता है | इसमें आठ फसलों को शामिल किया गया है जिसमें, ज्वार, बाजरा, सावां, कंगनी, कुटकी, कोदो, रागी और चेना है |

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