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भारत के अमरूद की विदेशों में बढी मांग

विदेशों में भी भारत के अमरुद की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत में उगाने जाने वाली उन्नत अमरुद की किस्मों की पड़ोसी देश बांग्लादेश और नेपाल से लेकर नीदरलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, ईरान, ओमान, कतर और साउदी अरब तक काफी मांग है। साल 2021-22 भारत ने 15 करोड़ रुपए से ज्यादा मूल्य के अमरुद का निर्यात किया।

भारत, बागवानी (फल सब्जी मसाला) फसलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। पूरी दुनिया के फल-सब्जी उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 12 फीसदी है। साल 2020-21 के दौरान देश में 331 मिलिटन टन उत्पादन का अनुमान है।

अमरुद की खेती की बात करें तो देश में उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, आंध्र प्रदेश प्रमुख राज्य हैं। 300 हजार हेक्टेयर में खेती, 4469 हजार मीट्रिक टन उत्पादन साल 2019-20 में 292 हजार हेक्टेयर में अमरुद (बाग) रकबा था और 4361 हजार मीट्रिक टन का उत्पादन हुआ था | साल 2020-21 में तीसरे अग्रिम अनुमान के मुताबिक रकबा 310 हजार हेक्टेयर और उत्पादन 4469 हजार मीट्रिक टन हो सकता है। राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मुताबिक साल 1991-21 में महज 94 हजार हेक्टेयर में अमरुद की खेती होती थी| यह 2001-02 में बढ़कर 155 हजार हेक्टेयर जबकि उत्पादन इस अवधि में बढ़कर 11 लाख टन से बढ़कर 17 लाख टन हो गया था। निर्यात के बढ़ते आंकड़ों पर खुशी जताते हुए अमरूद ग्रोअर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष वीडी दंडवाटे ने गांव कनेक्शन से कहा, “ये हम सबके लिए अच्छा है। नई वैरायटी ताईवान, वीएनआर, थाई गुआवा, ताईवान पिंक, डायमंड और जापानी गुआवा के अमरुद की विदेशों में मांग है। कुछ राज्यों को छोड़कर अमरुद अब लगभग पूरे देश में होने लगा है।” दंडवाटे महाराष्ट्र के अहमदनगर में रहते हैं। उनके मुताबिक अमरूद ग्रोअर एसोसिएशन ऑफ इंडिया के साथ 2000 किसान जुड़े हैं। सबसे ज्यादा अंगूर का होता है |

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