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चुनाव : मौसम बदल गया है, पत्ते वही पुराने

भारतीय जनता पार्टी समेत विपक्ष के कई दल कांग्रेस की आलोचना इसलिए करते हैं कि इस पार्टी में गांधी-नेहरू परिवार के सदस्यों के आगे किसी अन्य नेता को महत्व नहीं दिया गया| पार्टी अभी भी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा से आगे की नहीं सोच पा रही है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी, बिहार में राष्ट्रीय जनता दल, महाराष्ट्र में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति और आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी, पंजाब में अकाली दल और हरियाणा में आईएनएलडी समेत ऐसे ढेरों राजनीतिक दल हैं जहां पर परिवारवाद हावी है और पिता या मां के बाद बेटे-बेटी को ही पार्टी की जिम्मेदारी मिलती है |
उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी पार्टी है और विधानसभा चुनाव में जीत की पूरी कोशिश में लगी है. मुलायम सिंह यादव के बाद उनके बेटे अखिलेश यादव इस पार्टी से मुख्यमंत्री बन चुके हैं| यादव परिवार से जुड़े कई सदस्य सांसद और विधायक रह चुके हैं| यही नहीं परिवार से जुड़े कई अन्य सदस्य स्थानीय स्तर पर अहम पद संभाल चुके हैं| मुलायम के भतीजे धर्मेंद्र यादव तीन बार सांसद रहे हैं जबकि चचेरे पौत्र तेज प्रताप यादव भी सांसद रह चुके हैं|

मुलायम के चचेरे भाई प्रो. रामगोपाल यादव राज्यसभा सांसद हैं| प्रो. रामगोपाल के बेटे अक्षय यादव भी राजनीति में सक्रिय हैं| वह 2014 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर फिरोजाबाद से सांसद चुने गए थे, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में हार गए| मुलायम के सबसे छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव भी इस समय विधायक हैं| बाद मे पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बना ली थी| हालांकि इस बार वह समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं|

जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार है| नेशनल कॉन्फ्रेंस में अब्दुल्ला परिवार की तूती बोलती है, यह ऐसा परिवार है जहां से 4 लोग इस राज्य की सत्ता संभाल चुके हैं| वर्तमान नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला इस परिवार से जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री बनने वाले सबसे नए नेता हैं| उनके पिता फारूक अब्दुल्ला केंद्रीय मंत्री होने के अलावा कई बार यहां पर मुख्यमंत्री रहे हैं|

उमर के दादा शेख अब्दुल्ला हैं जिन्हें ‘शेर-ए-कश्मीर’ कहा जाता है, पहले कश्मीर के प्रधानमंत्री बने | बाद नेशनल कॉन्फ्रेंस पार्टी की स्थापना की और इस परिवार से जम्मू-कश्मीर के पहले मुख्यमंत्री बने. दादा, पिता और पुत्र के अलावा इस परिवार से एक और सदस्य मुख्यमंत्री बना| फारुक के बहनोई (गुलाम मोहम्मद शाह) ने भी 1980 के दशक में मुख्यमंत्री के रूप में काम किया| साथ ही शेख अब्दुल्ला के भाई शेख मुस्तफा कमाल का राज्य में मंत्री के रूप में लंबा कार्यकाल रहा| परिवार के कई अन्य सदस्य भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं|

जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला परिवार के अलावा मुफ्ती परिवार भी है जिसने दो मुख्यमंत्री दिए| मुफ्ती मोहम्मद सईद ने पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) स्थापना की जो बाद में मुख्यमंत्री बने और उनके बाद उनकी बेटी महबूबा मुफ्ती ने पार्टी की कमान संभाली| फिर जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री भी बनीं|

पंजाब में अकाली दल पर बादल परिवार का दबदबा
पंजाब और हरियाणा भी उन राज्यों में शामिल है जहां पर राजनीतिक विरासत का इतिहास काफी पुराना है| पंजाब की सियासत में बादल परिवार की दबदबा कई दशकों से कायम है| शिरोमणि अकाली दल के संस्थापक प्रकाश सिंह बादल पाच बार पंजाब के मुख्यमंत्री रहे हैं | इस बार भी 95 साल की उम्र में भी चुनावी मैदान में हैं| उनके बेटे सुखबीर सिंह बादल पार्टी के प्रमुख हैं और 2009 से 2017 तक पिता के मुख्यमंत्री रहने के दौरान उपमुख्यमंत्री रहे| वह केंद्र में मंत्री भी रह चुके हैं|

सुखबीर बादल की पत्नी हरसिमरत कौर बादल लोकसभा सांसद हैं | वह मोदी सरकार में मंत्री रही हैं| लेकिन 2020 में कृषि कानूनों के विरोध में उन्होंने मंत्री पद छोड़ दिया था| हरसिमरत के भाई बिक्रम सिंह मजीठिया भी राजनीति में कांग्रेस में रहने के बाद अब फिर से अकाली दल के साथ हैं और इस चुनाव में मैदान में हैं| राज्य में कांग्रेस में कैप्टन अमरिंदर सिंह परिवार की 3 पीढ़ी राजनीति में है|

पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अब कांग्रेस से नाता तोड़ चुके हैं, लेकिन उनकी तीन पीढ़ी कांग्रेस में रही है| उनकी मां मोहिंदर कौर कांग्रेस नेता रहीं और सांसद भी थीं| खुद कैप्टन अमरिंदर सिंह राज्य में कई बार मुख्यमंत्री रहे! पत्नी परनीत कौर तीन बार लोकसभा सांसद रही हैं| वह यूपीए-2 सरकार में मनमोहन सिंह कैबिनेट में भी रहीं| अमरिंदर सिंह के बेटे रनिंदर सिंह भी कांग्रेस पार्टी के साथ हैं| वह 2009 में लोकसभा चुनाव हार चुके हैं| इसके बाद 2012 के चुनाव में भी उन्हें हार मिली|

हरियाणा में भी राजनीतिक विरासत वाली कई पार्टियां हैं| यहां पर चौटाला और लाल परिवार को अपनी राजनीतिक विरासत के लिए जाना जाता है| इंडियन नेशनल लोक दल (इनेलो) के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के पोते दुष्यंत चौटाला इस समय राज्य के उपमुख्यमंत्री हैं| ओम प्रकाश चौटाला के पिता चौधरी देवी लाल उप प्रधानमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे हैं| ओम प्रकाश चौटाला के बेटे अजय सिंह चौटाला और अभय सिंह चौटाला भी राजनीति में खासे सक्रिय रहे हैं| दोनों विधानसभा और लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं| इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो)की स्थापना चौधरी देवीलाल ने अक्टूबर 1996 में हरियाणा लोक दल (राष्ट्रीय) के नाम से की थी| बाद में देवी लाल के निधन के बाद पार्टी में पारिवारिक विवाद शुरू हो गया| दुष्यंत ने पार्टी से अलग होकर 2018 में जननायक जनता पार्टी का गठन किया|

चौटाला परिवार के अलावा हरियाणा के शक्तिशाली परिवारों में भजन लाल का परिवार भी शामिल है| भजन लाल राज्य के मुख्यमंत्री रहे हैं| उनके बेटे चंदर मोहन राज्य के उपमुख्यमंत्री रहे हैं और कांग्रेस के नेता हैं| जबकि कुलदीप बिश्नोई और उनकी पत्नी रेणुका दोनों ही विधायक हैं| सन 2017 में कुलदीप बिश्नोई ने अपनी पार्टी (हरियाणा जनहित कांग्रेस) का कांग्रेस में विलय कर दिया| भजन लाल के नेतृत्व में यह गुट कांग्रेस से अलग हो गया था|

यहां पर झारखंड मुक्ति मोर्चा में परिवारवाद हावी| पार्टी संस्थापक और अध्यक्ष शिबू सोरेन 3 बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं| अब सत्ता में लौटने पर उनके बेटे हेमंत सोरेन वर्तमान में राज्य के मुख्यमंत्री हैं| शिबू का बेटा दुर्गा सोरेन जिसकी 2009 में सड़क हादसे में मौत हो गई, वह भी विधायक रहे थे|
देश की राजनीति में सिंधिया परिवार की तीन पीढ़ी सक्रिय है और कई अहम पदों पर रह चुकी है| राजमाता विजया राजे सिंधिया जनसंघ और भाजपा की कद्दावर नेता रही थीं | उनकी बेटियां यशोधरा और वसुंधरा राजे उनके नक्शेकदम पर चलते हुए भाजपा के दिग्गज नेताओं में शुमार की जाती हैं. वसुंधरा राजे दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं| उनके बेटे दुष्यंत भाजपा सांसद हैं|

विजया राजे के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया और पोते ज्योतिरादित्य भी राजनीति में सक्रिय हैं| पिता माधवराव के उलट ज्योतिरादित्य पहले कांग्रेस में थे लेकिन अब वह बीजेपी में आ गए हैं और केंद्रीय मंत्री भी हैं|

कर्नाटक में देवगौड़ा परिवार का दबदबा
दक्षिण की राजनीति में सबसे कामयाब राजनीतिक परिवार है देवेगौड़ा परिवार. इस परिवार को स्थानीय स्तर पर पिता-पुत्रों की पार्टी भी कहा जाता है| पूर्व प्रधानमंत्री और जनता दल (सेक्युलर) के प्रमुख एचडी देवेगौड़ा और उनके बेटे कर्नाटक के सबसे प्रभावशाली नेताओं में से एक रहे हैं| देवेगौड़ा पहले मुख्यमंत्री बने फिर प्रधानमंत्री बने और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी राज्य के मुख्यमंत्री बने| देवेगौड़ा के एक अन्य बेटे एचडी रेवन्ना राज्य में मंत्री रहे हैं. रेवन्ना के बेटे प्रावल रेवन्ना इस समय लोकसभा सांसद हैं|

जनता दल (सेक्युलर) के नेता प्रावल अपने परिवार की पारंपरागत हासन सीट से 2019 में लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर संसद पहुंचे. वह देश के तीसरे सबसे युवा सांसद हैं| वह पिछले 8 साल से पार्टी के नेता हैं| दो बार मुख्यमंत्री रहे एचडी कुमारस्वामी के बेटे निखिल कुमारस्वामी भी राजनीति में सक्रिय हैं|

आंध्र प्रदेश-तेलंगाना में राजनीतिक विरासत
दूसरी ओर, दक्षिण भारत की चर्चित राजनीतिक पार्टियों में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) भी है| तेलुगु देशम पार्टी की स्थापना नंदमुरी तारक रामा राव (जिन्हे एनटीआर के नाम से भी जाना जाता है) की तीसरी पीढ़ी भी राजनीति सक्रिय है| और परिवार से जुड़े 2 लोग मुख्यमंत्री बन चुके हैं| एनटीआर ने 1982 में टीडीपी की स्थापना की और अगले साल 1983 में वह मुख्यमंत्री बने| वह अविभाजित आंध्र प्रदेश में इस शीर्ष पद पर तीन बार पहुँचे|

बाद में उनके दामाद चंद्रबाबू नायडू भी मुख्यमंत्री बने| नायडू ने करियर की शुरुआत कांग्रेस से की लेकिन बाद में वह टीडीपी के साथ हो गए| वह तीन बार इस पद रहे| एनटीआर के बेटे हरिकृष्णा और एक अन्य दामाद डी. वेंकटेश्वर राव भी राजनीति में खासे सक्रिय रहे हैं| एनटीआर के अभिनेता से राजनेता बने बेटे नंदमुरी बालकृष्ण भी राजनीति में आए और 2014 में राज्य के विभाजन के बाद टीडीपी के टिकट पर हिंदूपुर से राज्य का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की|

एनटीआर की बेटी दग्गुबाटी पुरंदेश्वरी परिवार की अन्य कामयाब राजनेताओं में से एक हैं| दो बार की कांग्रेस सांसद रहीं पुरंदेश्वरी तेलंगाना के निर्माण के भाजपा में प्रवेश कर लिया| हालांकि 2014 के चुनाव में हार मिली| वहीं चंद्रबाबू नायडू के बेटे नारा लोकेश भी राजनीति में हैं, इस तरह से राव-नायडू परिवार की तीन पीढ़ी राजनीति में है और दो पीढ़ी के लोग मुख्यमंत्री बन चुके हैं| टीडीपी पर अभी नायडू परिवार का दबदबा है|

तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) में भी राजनीतिक विरासत दिख रही है| पार्टी के नेता के चंद्रशेखर राव तेलंगाना के मुख्यमंत्री हैं, जिसे इस नए राज्य की ‘फर्स्ट फैमिली’ कहा जाता है| राव ने 2001 में पार्टी का गठन किया था| चंद्रशेखर राव के बेटे केटी रामाराव राज्य में मंत्री हैं और उनकी बेटी के कविता पहले लोकसभा सांसद रहीं और अब विधायक हैं|

मुथुवेल करुणानिधि परिवार तमिलनाडु में वंशवाद की राजनीति का सबसे नायाब उदाहरण है. द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) के शीर्ष नेता करुणानिधि 1968 से पांच बार मुख्यमंत्री रहे और मृत्यु होने तक राजनीति में सक्रिय रहे|

करुणानिधि के बाद डीएमके के नेता और उनके बेटे एमके स्टालिन इस समय तमिलनाडु के मुख्यमंत्री हैं| करुणानिधि की तीन पत्नियों से छह बच्चे हैं| उनकी दूसरी पत्नी से पैदा हुए दूसरे बेटे एमके अलागिरी जो पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे हैं और दक्षिण तमिलनाडु के लिए डीएमके के समन्वयक भी थे| उन्हें 2014 में कथित पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए डीएमके से निष्कासित कर दिया गया और उन्होंने अलग पार्टी बना ली थी| यही नहीं करुणानिधि की बेटी कनिमोझी (उनकी तीसरी पत्नी राजथियाम्मल से) पहले राज्यसभा सांसद रहीं लेकिन 2019 से वह लोकसभा सांसद हैं| उनके भतीजे मुरासोली मारन, जिनकी 2003 में मृत्यु हो गई, और पोते दयानिधि मारन भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ पूर्व केंद्रीय मंत्री भी रहे है|

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