मौसम की अच्छी स्थिति के बावजूद पंजाब में गुरुवार तक केवल 22 प्रतिशत धान की कटाई हुई।इस साल धान की कटाई भी पिछले साल की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत कम है, जब लंबे समय तक बारिश के कारण कटाई में लगभग 10 दिन की देरी हुई थी। यह कई किसानों के लिए चिंता का विषय रहा है, जिन्होंने राज्य भर की मंडियों में जगह की कमी के कारण या तो कटाई रोक दी है या धीमी गति से कर रहे हैं। यह तब है जब खेतों में फसल पक रही है।
पंजाब में लगभग 1,852 अनाज मंडियाँ हैं और आमतौर पर कई चावल शेलर को अस्थायी मंडी यार्ड में बदल दिया जाता है।इस साल फसल की आवाजाही को लेकर गंभीर समस्याओं का सामना कर रहा है। खरीदे गए धान का केवल 10.55 प्रतिशत ही मंडियों से उठाया गया है, जिससे कई मंडियाँ भरी हुई हैं। स्थिति विशेष रूप से उन क्षेत्रों में गंभीर है जहाँ किसानों के पास अपनी फसल उतारने के लिए जगह नहीं है।किसानों ने बताया कि, खेतों में फसल तैयार खड़ी है, लेकिन मंडियों में जगह नहीं है।
पंजाब कृषि विभाग के निदेशक जसवंत सिंह ने पुष्टि की कि, अब तक करीब 22 फीसदी धान की कटाई हो चुकी है और यह पिछले साल की तुलना में काफी कम है। उन्होंने कहा, इस बार कटाई की गति काफी धीमी है। पंजाब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के सूत्रों ने फसल की धीमी उठान के लिए चावल छीलने वालों से सहयोग की कमी को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने सरकार के समक्ष कई मांगें उठाई हैं। चावल छीलने वालों के सहयोग के बिना खरीदे गए अनाज को मंडियों से बाहर ले जाना मुश्किल है।
विभाग के एक अधिकारी ने कहा, राज्य में 5,000 से अधिक शैलर सरकार द्वारा खरीदे गए धान का पूरा भंडारण करते हैं और चावल मिलिंग के बाद सरकारी गोदाम में जाता था। लेकिन इस साल शैलर की कुछ मांगें हैं और सरकार ने उन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, जिससे यह बाधा उत्पन्न हो रही है।
इस साल 23 अक्टूबर तक सिर्फ 41 लाख टन धान ही मंडियों में पहुंचा है, जो पिछले साल के मुकाबले करीब नौ लाख टन कम है। पंजाब को इस साल मंडियों में 185 लाख टन धान की आवक की उम्मीद है। तरनतारन जिले में पिछले साल 23 अक्टूबर तक 5.50 लाख टन धान की आवक हुई थी, जबकि इस साल इसी समय तक सिर्फ 3.40 लाख टन धान ही मंडियों में पहुंचा है। इसी तरह संगरूर में 23 अक्टूबर तक सिर्फ 1.46 लाख टन धान ही मंडियों में आया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 2.50 लाख टन से ज्यादा धान की आवक हुई थी। गुरदासपुर में भी आवक में काफी गिरावट आई है, जहां पिछले साल के मुकाबले इस साल 50 फीसदी कम धान की आवक हुई है।