शामली, हापुड़, सहारनपुर, जिलों के किसान गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं होने से गुस्से में है। किसान आन्दोलन की चेतावनी के साथ जिला अधिकारी को नियमानुसार भुगतान कराने की याद करा चुके हैं। पेराई सत्र खत्म हो गया। चीनी बनकर मिलों के गोदामों में सहेज कर रख दी गई। करीब सो बाद भी किसानों को उनकी उपज का भुगतान नहीं मिला। इसी कड़ी में अमरोहा जिले की चीनी मिलें भी हैं। मिली जानकारी के अनुसार अमरोहा जनपद की चीनी मिलों पर गन्ना किसानों करीब 82.63 करोड़ रुपये का बकाया है। जिसके चलते किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की पहचान गन्ना बेल्ट के रूप में होती है। जिले में बीते पेराई सत्र में करीब 98 हजार हेक्टेयर में 1.69 किसानों ने गन्ने की आपूर्ति शुगर मिलों को की थी।
लोकसभा चुनाव की जनसभाओं में किसानों के बीच सरकार की सुविधा के दावे किए गए थे कि किसानों को 14 दिनों के भीतर उनके गन्ना मूल्य का भुगतान किया जाएगा। हालांकि कुछ शुगर मिलों ने लगातार गन्ना मूल्य का भुगतान किया भी, लेकिन अधिकांश शुगर मिलें अपने दावों पर खरा नहीं उतर सकीं।दावे भले ही 14 दिनों में भुगतान के हों, मगर हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। पेराई सत्र समाप्त हुए करीब डेढ़ माह से भी अधिक का समय गुजर चुका है। लेकिन अमरोहा की चार शुगर मिलें अभी भी किसानों को उनकी मेहनत की रकम का भुगतान नहीं कर सकी हैं। मायावती – सरकार के रहते अमरोहा की बेंच दी गयी चीनी मिलों को चालू तो नहीं किया गया बल्कि इन मिलों से जुड़े किसानों को दूसरी चीनी मिलों के हवाले कर दिया गया। अमरोहा जिले की तीन शुगर मिलों के अतिरिक्त दूसरे जनपदों की सात शुगर मिलें जिले के किसानों से गन्ने की खरीद करती हैं। लेकिन समय और जरूरत पर मेहनत की रकम न मिलने से किसान मायूस हैं। फिलहाल जिले की चार शुगर मिलों पर किसानों का 82.63 करोड़ रुपये का बकाया है।
जिले में एक तहसील है धनौरा। जब यहां चीनी लगी तो किसानों की खुशी का ठिकाना नहीं था। चालू पेराई सत्र में अमरोहा। मंडी धनौरा स्थित वेव शुगर मिल जिले में दूसरी अन्य शुगर मिलों के मुकाबले गन्ना खरीद में सबसे आगे है। बीते पेराई सत्र में वेव शुगर मिल ने 142.60 लाख क्विंटल गन्ने की खरीद की। लेकिन भुगतान के मामले में यह मिल दूसरी मिलों के मुकाबले फिसड्डी साबित हुई है। इस शुगर मिल ने अभी तक किसानों का 12 मार्च तक का भुगतान ही किया है। वेव ग्रुप धनौरा पर किसानों का सबसे अधिक 63.24 करोड़ रुपये का बकाया है।