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उत्तर प्रदेश झांसी की मूंगफली अब स्वाद भी बढ़ायेगी और विदेशी मुद्रा भी लायेगी
उत्तर प्रदेश झांसी की मूंगफली अब स्वाद भी बढ़ायेगी और विदेशी मुद्रा भी लायेगी

उत्तर प्रदेश झांसी की मूंगफली अब स्वाद भी बढ़ायेगी और विदेशी मुद्रा भी लायेगी

झांसी अपने सॉफ्ट टॉयज के लिए देश दुनिया में मशहूर है। योगी सरकार ने इसे जिले का ओडीओपी (एक जिला एक उत्पाद) बनाकर इसकी ख्याति और बढ़ा दी। अब जो काम सॉफ्ट टॉयज पर हुआ है वही योगी सरकार झांसी की मूंगफली को लेकर करने जा रही है। विश्व बैंक की मदद से चलाई जा रही यूपी:एग्रीज योजना के तहत झांसी को मूंगफली क्लस्टर के रूप में विकसित करने की योजना है। ऐसा हुआ तो झांसी की मूंगफली न सिर्फ देश के प्रमुख बाजारों में उपलब्ध होगी,बल्कि विदेशों खासकर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों में इसका निर्यात हो सकेगा।

बहुपयोगी होने के नाते पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश के किसानों ने मूंगफली की खेती के प्रति रुचि भी दिखाई है। इसका असर प्रति हेक्टेयर, प्रति किलोग्राम उत्पादन पर पड़ा है। साथ ही मूंगफली के रकबे में भी अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। यूपी एग्रीज के जरिए योगी सरकार बुंदेलखंड के किसानों के हित में इसका अधिकतम लाभ उठाएगी।
डायरेक्टर ऑफ इकोनॉमिक्स एंड स्टेट मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर के 2013/2014 से 2015/2016 के एवरेज के अनुसार भारत में प्रति हेक्टेयर मूंगफली की उपज 1542 किलोग्राम थी। इसकी तुलना में उत्तर प्रदेश की उपज मात्र 809 किलोग्राम थी। उस समय देश के के कुल 4.93 मिलियन हेक्टेयर रकबे पर मूंगफली की खेती होती थी। तब टोटल रकबे में उत्तर प्रदेश का योगदान सिर्फ 2 फीसद था। करीब एक दशक में हालात तेजी से बदले हैं। इस दौरान उत्तर प्रदेश में मूंगफली का का रकबा बढ़कर करीब 4.7 फीसद हो गया। यह वृद्धि ढाई गुना से अधिक की है।

उल्लेखनीय है कि देश में सर्वाधिक मूंगफली का उत्पादन गुजरात में होता है। यहां करीब 20 लाख हेक्टेयर में देश के कुल उत्पादन का 47 फीसद मूंगफली होती है। इसके बाद राजस्थान और तमिलनाडु का नंबर आता है। मूंगफली उत्पादन में इन राज्यों की हासेदारी क्रमशः 16 और 10 फीसद है। जहां तक उपज की बात है तो देश में प्रति हेक्टेयर उपज 1542 से बढ़कर 1688 किग्रा हो गई।

किसानों के इसी रुझान और बहुउपयोगी मूंगफली की स्थानीय बाजार और इंडोनेशिया, वियतनाम, थाईलैंड, मलेशिया, फिलीपींस आदि दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में इसकी मांग को देखते हुए सरकार विश्व बैंक की मदद से यूपी एग्रीज योजना के तहत झांसी को मूंगफली के कलस्टर के रूप में विकसित करना चाहती है।

मूंगफली में प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और मिनरल्स होते हैं, जो हृदय स्वास्थ्य, पाचन तंत्र और वजन प्रबंधन में मदद करते हैं। मूंगफली का तेल निकाला जाता है। इसका उपयोग खाना पकाने और सौंदर्य उत्पादों में किया जाता है। मूंगफली के तेल में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन ई होता है। इसलिए यह स्किन और बालों के लिए फायदेमंद है। प्रोटीन और ऊर्जा का बेहतर स्रोत होने की वजह से इसका उपयोग पशु आहार में भी किया जाता है। कच्ची मूंगफली को उबालकर, खाते हैं। सुखाकर भुनी मूंगफली खाना तो आम है। इससे पीनेट चीज और बटर भी बनती है। करी, चटनी, सलाद और स्नैक्स के रूप में भी मूंगफली का उपयोग होता है।

इसके छिलके का उपयोग ईंधन के रूप में भी होता है। कुछ कंपनियां इसे प्रति किलोग्राम की दर से खरीद भी लेती हैं। इस तरह किसानों को मूंगफली के साथ उसके छिलके के भी दाम मिलेंगे। सरकार को अनुमान है कि इसकी एक्स फैक्ट्री प्राइस प्रति किलोग्राम 5 रुपए तक होगी।

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