केन्द्र में भाजपा गठबन्धन की सरकार के गठन के बाद मंत्रिमंडल के सदस्यों ने अपना कार्यभार संभाल लिया है। अनुभवी शिवराज सिंह चौहान ने केन्द्रीय कृषि मंत्री का कामकाज संभाला है। दूसरी तरफ हरियाणा और पंजाब की सीमा पर आंदोलित किसानों ने अपनी मांगों को दोहराते हुए -किसान एकता का नारा लगाते हुए न्यूनतम समर्थन मूल्य के लिए शंभू बार्डर और खनौरी बार्डर पर धरना जारी रखा है। अब, आंदोलित किसानों को तृणमूल कांग्रेस का समर्थन देने का ऐलान किया है। दिल्ली में सरकार के गठन के बाद ही शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 120 दिन से धरने पर बैठे किसानों को तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिला है। तृणमूल कांग्रेस के पांच सांसदों वाली एक टीम ने दातासिंहवाला-खनौरी बॉर्डर का दौरा किया। सांसदों ने किसानों से मुलाकात की और कहा कि वो लोकसभा-राज्यसभा दोनों सदनों में एमएसपी की गारंटी का मुद्दा उठाएंगे. प्रतिनिधिमंडल में डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन, सागरिका घोष और साकेत गोखले मुख्य तौर पर मौजूद रहे।। टीम ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की फोन के माध्यम से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात भी करवाई।
दिल्ली में सरकार के गठन के बाद ही शंभू और खनौरी बॉर्डर पर 120 दिन से धरने पर बैठे किसानों को तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिला है। तृणमूल कांग्रेस के पांच सांसदों वाली एक टीम ने दातासिंहवाला-खनौरी बॉर्डर का दौरा किया। सांसदों ने किसानों से मुलाकात की और कहा कि वो लोकसभा-राज्यसभा दोनों सदनों में एमएसपी की गारंटी का मुद्दा उठाएंगे. प्रतिनिधिमंडल में डेरेक ओ ब्रायन, मोहम्मद नदीमुल हक, डोला सेन, सागरिका घोष और साकेत गोखले मुख्य तौर पर मौजूद रहे।। टीम ने किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल की फोन के माध्यम से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से बात भी करवाई।
संयुक्त किसान मोर्चा-अराजनैतिक और किसान मजदूर मोर्चा ने कहा है कि दोनों की तरफ से भाजपा के 240 सांसदों को छोड़कर बाकी सभी को 2 जुलाई को अपनी मांगों का मांग पत्र सौंपा जाएगा। किसान सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश में जुट गए हैं। लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सीटें कम हो गई हैं, इसकी वजह से आंदोलनकारी नेताओं के हौसले बुलंद हैं। किसानों की वजह से हरियाणा, पश्चिम यूपी और महाराष्ट्र में बीजेपी की सीटें कम हो गई हैं।
किसान नेताओं की तरफ से जगजीत सिंह डल्लेवाल, बलदेव सिंह सिरसा, अभिमन्यु कोहाड़, लखविंदर सिंह औलख, सुखजिंदर सिंह खोसा, मनिंदर सिंह मान, सुखजीत सिंह हरदोझण्डे, गुरसाहिब सिंह, रंजीत राजू, गुरमणित सिंह मांगट आदि मौजूद रहे।