कपास उत्पादक क्षेत्रों में कम पैदावार के कारण वर्ष 2023-24 के सत्र में कपास का उत्पादन लगभग आठ प्रतिशत घटकर 294.10 लाख गांठ रह सकता है। भारतीय कपास संघ (सीएआई) द्वारा जारी एक अनुमान में यह जानकारी दी गई है। सीएआई के आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2022-23 सत्र (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान कुल कपास उत्पादन 170 किलोग्राम की 318.90 लाख गांठ का हुआ था।
संस्था के अध्यक्ष अतुल गनात्रा ने बताया, ‘‘देश के उत्तरी क्षेत्र में गुलाबी सुंडी(पिंक बॉल वर्म’ कीट) के संक्रमण के कारण इस वर्ष उत्पादन 24.8 लाख गांठ घटकर 294.10 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जबकि एक अगस्त से 15 सितंबर तक के 45 दिन तक बारिश नहीं होने के कारण दक्षिणी और मध्य क्षेत्रों में भी उपज प्रभावित होगी।”
बीते नवंबर, 2023 के अंत तक कुल आपूर्ति 92.05 लाख गांठ होने का अनुमान है, जिसमें 60.15 लाख गांठ की आवक, तीन लाख गांठ का आयात और सत्र की शुरुआत में 28.90 लाख गांठ का शुरुआती स्टॉक शामिल है। इसके अलावा, सीएआई ने नवंबर, 2023 के अंत तक कपास की खपत 53 लाख गांठ रहने का अनुमान लगाया है, जबकि 30 नवंबर तक निर्यात खेप तीन लाख गांठ होने का अनुमान है।
बीती नवंबर के अंत में स्टॉक 36.05 लाख गांठ होने का अनुमान है, जिसमें कपड़ा मिलों के पास 27 लाख गांठें और शेष 9.05 लाख गांठें सीसीआई, महाराष्ट्र फेडरेशन और अन्य (बहुराष्ट्रीय कंपनियों, व्यापारियों, जिनर्स के बीच) के पास हैं, जिसमें वह कपास भी शामिल है, जिन्हें बेचा तो गया लेकिन वितरित नहीं किया जा सका।
सीएआई ने कपास सत्र 2023-24 के अंत तक (30 सितंबर, 2024 तक) अपनी कुल कपास आपूर्ति को 345 लाख गांठ पर कायम रखा है। गनात्रा ने कहा, ‘‘इस साल कम उत्पादन अनुमान के कारण आयात अधिक होने की उम्मीद है।” सीएआई ने कहा कि कपास सत्र 2023-24 के लिए निर्यात पिछले साल के समान स्तर पर लगभग 14 लाख गांठ रहने का अनुमान है, जबकि वर्ष 2022-23 सत्र में निर्यात 15.50 लाख गांठ का हुआ था।