पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना जैसे सूबों मे न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान की खरीद जारी है। पंजाब और हरियाणा इस मामले में अपने तयशुदा लक्ष्य के करीब है। तमाम कोशिशों के बावजूद राज्यों में लक्ष्य के अनुरूप खरीद नहीं हो रही है।
कम धान की खरीद से बाजार में कीमतों पर असर पड़ता है। यही सरकार की महंगाई का कारण होगा। चावल की बढ़ती कीमतों के बीच सरकार की टेंशन बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। खरीफ फसल सीजन 2022- 23 के मुकाबले फसल सीजन 2023- 24 में अभी तक जो धान की खरीद हुई है उसमें 9.28 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। इससे सरकार की चिंता बढ़ गई है। जानकारों का कहना है कि यदि धान की खरीद में गिरावट इसी तरह से जारी रही, तो आने वाले दिनों में चावल की कीमतों में और तेजी आ सकती है. इससे महंगाई पर भी असर पड़ सकता है।
भारतीय खाद्य निगम एफसीआई फसल सीजन 2023-24 के लिए पिछले एक महीने से धान की खरीद कर रहा है। वह अभी तक किसानों से मिनिमम सपोर्ट प्राइस पर 15.4 मिलियन टन से अधिक धान खरीदा जा चुका है। लेकिन यह आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 9.28 प्रतिशत कम है। वहीं, खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों की माने तो इस फसल सीजन में अक्टूबर और नवंबर महीने के दौरान सबसे अधिक धान खरीद में गिरावट पंजाब में दर्ज की गई है। कहा जा रहा है कि इस साल पंजाब में अधिक बारिश होने की वजह से धान में नमी की मात्रा बढ़ गई है। इससे पंजाब में धान की खरीद में इस साल 13 फीसदी गिरावट आई है।
मिली जानकारी अनुसार अभी तक हरियाणा में 5.3 मिलियन टन, तमिलनाडु में 0.45 मिलियन टन, उत्तराखंड में 0.21 मिलियन टन और उत्तर प्रदेश 72,156 टन धान की खरीद की गई है। अगले महीने से धान खरीद में और तेजी आएगी, क्योंकि छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, ओडिशा, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में भी धान की खरीद शुरू हो जाएगी। इस साल सरकार किसानों से साधारण धान 2183 रुपए प्रति क्विंटल और ए ग्रेड धान 2203 रुपए प्रति क्विंटल खरीद खरीद रही है।
अधिकारियों ने कहा कि एक अक्टूबर तक एफसीआई के पास 20.09 मिलियन टन चावल का स्टॉक था। इसमें मिल मालिकों से खरीदे गए 17 मिलियन टन अनाज को शामिल नहीं किया गया है। खाद्य मंत्रालय के अनुसार, अब तक 17.27 मिलियन टन धान पंजाब, हरियाणा, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की मंडियों में आ चुका है।