केंद्र सरकार की ओर से रबी की छह फसलों पर बढ़ाए जाने वाले समर्थन मूल्य को लेकर सियासी जानकार मानते हैं कि पीएम मोदी ने इसके माध्यम से उत्तर भारत के सभी राज्यों से लेकर दक्षिण भारत के सभी प्रमुख राज्यों को भी साधने है।
अगर सियासी नज़र से देखा जाए तो जिस तरीके से केन्द्र सरकार ने गेंहू, चना, जौ, सरसों, मसूर और सूरजमुखी पर एमएसपी बढ़ाई गई है उसे उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक समेत आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु के किसानों को भी साध कर भारतीय जनता पार्टी न उत्तर भारत के किसानों के लिए गेहूं, मसूर, चना, जौ और सरसों की बढ़ी हुई
एमएसपी का सियासी फायदा सिर्फ इस साल होने वाले मध्यप्रदेश, राजस्थान के विधानसभा चुनाव में हो सकता है। लोकसभा चुनाव के लिए भी सियासी बिसात बिछा ली है।
दक्षिण भारत में रबी की फसल के अंतर्गत आने वाले सूरजमुखी की एमएसपी बढ़ाकर केंद्र सरकार ने कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, उड़ीसा और तमिलनाडु में किसानों को अपने पक्ष में करने के लिए एक बड़ा माहौल तो बना ही लिया है।
आंकड़ों के मुताबिक 2014-15 में जौ का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1100 रुपये हुआ करता था, जो 2024-25 के लिए 1850 रुपये कर दिया गया है। इसी तरह गेहूं का समर्थन मूल्य 2014-15 में 1400 रुपये हुआ करता था, जो कि अगले साल के लिए 2275 रुपये कर दिया गया है।
चने का समर्थन मूल्य 2014-15 में 3100 रुपये था, जो अब 5440 रुपये कर दिया गया है।
इसी तरह मसूर का समर्थन मूल्य 2014-15 में 2950 रुपये था, जो 2024-25 में 6425 रुपये कर दिया गया है। सर कार ने सरसों का समर्थन मूल्य 2014-15 में 3050 रुपये था, जो कि अगले साल से 5660 रुपये कर दिया गया है।