भारत में मूंगफली और उससे बने उत्पादों की खपत पहले से बढ़ी है। इसके अलावा विदेशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इसका सबसे अधिक फायदा अर्जेंटीना और भारत को मिल रहा है जहां मूंगफली की पैदावार सबसे अधिक होती है। इस बार चूंकि अर्जेंटीना में सूखे का प्रकोप है और पैदावार बेहद कम हुई है, तो इसका पूरा फायदा भारत और उसके किसानों को मिल रहा है। पिछले साल भी मूंगफली के अच्छे दाम मिले थे। इसी लिए प्र किसानों ने इस बार मूंगफली की अधिक क्षेत्रफल में खेती की हैं।
जानकारों का कहना है कि दुनिया के प्रमुख मूंगफली उत्पादक देशों में जब किन्हीं कारणों से पैदावार में गिरती है तो उसका सीधा फायदा भारत को होता है। इसमें अर्जेंटीना और सेनेगल जैसे देश आते हैं जहां बड़े पैमाने पर मूंगफली की फसल होती है। इस बार अर्जेंटीना में फसल खराब गई है, इसलिए भारत इसका पूरा फायदा उठाता दिख रहा है। एक अनुमान के मुताबिक, भारत में इस बार मूंगफली का रिकॉर्ड उत्पादन 102.82 लाख टन हो सकता है जबकि पिछले साल यह पैदावार 101.35 लाख टन रहा था। जाहिर है कि भारत से मूंगफली का निर्यात बढ़ेगा तो अन्ततः किसानों को उनकी उपज का लाभ ज्यादा मिलेगा।
अनुमान है कि भारत से मूंगफली के निर्यात में 54 फीसद की तेजी दर्ज की जा रही है। यह आंकड़ा इस वित्त वर्ष के अप्रैल-मई तक का है। इन दो महीनों में भारत से 163 मिलियन डॉलर की मूंगफली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 106 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ था। रुपये के लिहाज से मूंगफली के निर्यात में 65 फीसद की तेजी है और मौजूदा वित्त वर्ष में 1338 करोड़ रुपये की मूंगफली विदेशों में भेजी गई है। पिछले साल इसी अवधि में यह निर्यात 813 करोड़ रुपये का था। भारत ने इस साल 1.22 लाख टन मूंगफली का निर्यात किया है।
एक सर्वेक्षण के बाद अमेरिका के कृषि विभाग ने तिलहन निर्यात के अपने पूर्वानुमान में बताया है कि भारत से 8.5 लाख टन मूंगफली का निर्यात हो सकता है जबकि पिछले साल यह मात्रा 7.5 लाख टन था। अर्जेंटीना के लिए यह पूर्वानुमान सात लाख टन का रखा गया है। जिन देशों ने भारत से सबसे अधिक मूंगफली खरीदी है उनमें पहले स्थान पर इंडोनेशिया है जबकि दूसरे पर वियतनाम है। इसके बाद फिलीपींस, मलेशिया और थाइलैंड जैसे देशों के नाम हैं। अन्य बड़े खरीदारों में संयुक्त राज्य अमेरिका, बांग्लादेश, ईरान, चीन, अफगानिस्तान, रूस और नेपाल का नाम है। भारत से मूंगफली का आयात करने वाले देशों की संख्या बढ़ रही है।
भारत में मूंगफली और उससे बने उत्पादों की खपत पहले से बढ़ी है। इसके अलावा विदेशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इसका सबसे अधिक फायदा अर्जेंटीना और भारत को मिल रहा है जहां मूंगफली की पैदावार सबसे अधिक होती है। इस बार चूंकि अर्जेंटीना में सूखे का प्रकोप है और पैदावार बेहद कम हुई है, तो इसका पूरा फायदा भारत और उसके किसानों को मिल रहा है. पिछले साल भी मूंगफली के अच्छे रेट मिले थे जिससे प्रभावित होकर किसान इस बार अधिक से अधिक खेती कर रहे हैं।
भारत में मूंगफली उत्पादन के मामले में, गुजरात देश के अन्य सभी राज्यों में आगे है। गुजरात की आबोहवा और मिट्टी मूंगफली की खेती के लिए काफी अनुकूल है। इस वजह से सबसे अधिक मूंगफली का उत्पादन गुजरात में होता है। एग्रीकल्चर स्टेट बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल उत्पादित होने वाले मूंगफली में गुजरात अकेले 40.42 प्रतिशत का उत्पादन करता है। देश के सिर्फ ये पांच राज्य अकेले 80 प्रतिशत का उत्पादन करते हैं। एग्रीकल्चर स्टेट बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार यह पांच राज्य, गुजरात, राजस्थान, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक हैं। उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मूंगफली की खेती को बढ़ावा देने के लिए श्री किस्मों को बढ़ावा देने का महत्वाकांक्षी कार्यक्रम बनाया है।
मूंगफली किसानों के लिए अच्छी खबर है. इस बार विदेशों में भारत की मूंगफली की बहुत मांग देखी जा रही है. खासकर दक्षिण पूर्व एशिया के देशों से. पिछले साल भी मार्केट में मूंगफली के अच्छे दा तयम मिले थे. इस बार भी इसमें तेजी देखी जा रही है. इस वित्त वर्ष की शुरुआत से ही मंडियों में मूंगफली के दाम सही चल रहे हैं जिसका फायदा देश के किसानों को मिल रहा है. भारत से निर्यात बढ़ने के पीछे असली वजह अर्जेंटीना को बताया जा रहा है. अर्जेंटीना मूंगफली के उत्पादन में दुनिया में अव्वल स्थान रखता है और यहां से बड़ी मात्रा में सप्लाई भी निकलती है. लेकिन इस बार अर्जेंटीना में मूंगफली की पैदावार बहुत कम है जिसका फायदा भारत को मिल रहा है.
डॉलर के नजरिये से देखें तो भारत से मूंगफली के निर्यात में 54 फीसद की तेजी दर्ज की जा रही है. यह आंकड़ा इस वित्त वर्ष के अप्रैल-मई तक का है. इन दो महीनों में भारत से 163 मिलियन डॉलर की मूंगफली का निर्यात हुआ है जबकि पिछले साल इसी अवधि में 106 मिलियन डॉलर का निर्यात हुआ था. रुपये के लिहाज से मूंगफली के निर्यात में 65 फीसद की तेजी है और मौजूदा वित्त वर्ष में 1338 करोड़ रुपये की मूंगफली विदेशों में भेजी गई है. पिछले साल इसी अवधि में यह निर्यात 813 करोड़ रुपये का था. भारत ने इस साल 1.22 लाख टन मूंगफली का निर्यात किया है।
अमेरिका के कृषि विभाग ने तिलहन निर्यात के अपने पूर्वानुमान में बताया है कि भारत से 8.5 लाख टन मूंगफली का निर्यात हो सकता है जबकि पिछले साल यह मात्रा 7.5 लाख टन था. अर्जेंटीना के लिए यह पूर्वानुमान सात लाख टन का रखा गया है. जिन देशों ने भारत से सबसे अधिक मूंगफली खरीदा है उनमें पहले स्थान पर इंडोनेशिया है जबकि दूसरे पर वियतनाम है. इसके बाद फिलीपींस, मलेशिया और थाइलैंड जैसे देशों के नाम हैं. अन्य बड़े खरीदारों में यूएई, बांग्लादेश, ईरान, चीन, अफगानिस्तान, रूस और नेपाल का नाम है.
भारत में मूंगफली और उससे बने उत्पादों की खपत पहले से बढ़ी है। इसके अलावा विदेशों में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। इसका सबसे अधिक फायदा अर्जेंटीना और भारत को मिल रहा है जहां मूंगफली की पैदावार सबसे अधिक होती है। इस बार चूंकि अर्जेंटीना में सूखे का प्रकोप है और पैदावार बेहद कम हुई है, तो इसका पूरा फायदा भारत और उसके किसानों को मिल रहा है. पिछले साल भी मूंगफली के अच्छे रेट मिले थे जिससे प्रभावित होकर किसान इस बार अधिक से अधिक खेती कर रहे हैं।
निर्यात का फायदा किसानों को एक्सपर्ट बताते हैं कि दुनिया के प्रमुख मूंगफली उत्पादक देशों में जब पैदावार गिरती है तो उसका सीधा फायदा भारत को होता है. इसमें अर्जेंटीना और सेनेगल जैसे देश आते हैं जहां बड़े पैमाने पर मूंगफली की फसल होती है. इस बार अर्जेंटीना में फसल मारी गई है, इसलिए भारत इसका पूरा फायदा उठाता दिख रहा है. एक अनुमान के मुताबिक, भारत में इस बार मूंगफली का रिकॉर्ड उत्पादन 102.82 लाख टन हो सकता है जबकि पिछले साल यह पैदावार 101.35 लाख टन रहा था.