खराब एलईडी बल्ब को रिपेयर कर इस काम लायक बनाने के लिए केरल ने एक अनूठी पहल शुरू की है। इससे पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचाया जा सकेगा साथ ही पैसे की भी बचत होगी। थुरुथिक्कारा पंचायत में कार्बन फुटप्रिंट पर अंकुश लगाने की पहल के तहत एलईडी क्लिनिक की शुरुआत की गई है।
ग्रामीण विज्ञान और प्रौद्योगिकी केंद्र के कार्यकारी निदेशक, थंकाचन पीए कहते हैं 2017 में इसकी शुरुआत के बाद से प्रशिक्षण और अन्य सहायता प्राप्त करने के लिए क्लिनिक आने वाले लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। कुदुम्बश्री और हरित कर्म सेना की महिलाएं इसमें बड़ी संख्या में हैं। उनके लिए यह जीविकोपार्जन का साधन भी है।
कई स्थानीय-स्वशासन संस्थाएं भी इस विचार को अपना रही हैं। केरल इंस्टीट्यूट ऑफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ने भी पंपा नदी बेसिन के पास पंचायतों में इसी तरह के क्लीनिक स्थापित करने की पहल शुरू की है। एडक्कट्टुवयल पंचायत में सामुदायिक विकास सोसायटी की अध्यक्ष निशीदा के अनुसार पंचायत में कुदुम्बश्री इकाई की पांच महिलाओं ने स्थानीय-स्वशासन निकाय द्वारा आयोजित एक प्रशिक्षण वर्ग में भाग लिया और उन्होंने अब एक क्लिनिक स्थापित किया है। प्रशिक्षण थुरुथिक्कारा विज्ञान केंद्र के लोगों द्वारा प्रदान किया गया था।
प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली महिलाओं का कहना है– बाबू ने कहा पूरी पंचायत के लोग ठीक करने के लिए अपने बल्ब लाते हैं। औसतन हमें प्रति माह 50 से अधिक बल्ब मिलते हैं। एक लाइट की मरम्मत में 40 रुपये का खर्च आता है। हम नई भी बनाते हैं। इनकी कीमत 100 रुपये है।
एक पंचायत 500 से अधिक एलईडी बल्बों का उपयोग स्ट्रीटलाइट्स, कार्यालयों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर करती है। अगर इन बल्बों को बदलने के बजाय इनकी मरम्मत की जाए तो बड़ा खर्च बच जाएगा।