पराली से खुशहाली लाने के लिए सरकार हर स्तर पर प्रयास कर रही है। इस बार खेत में पराली न जले, इसके लिए पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड (पी.पी.सी.बी) ने अभी से तैयारी शुरू कर दी है। धान की पराली जलाने के मामलों पर अंकुश लगाने के लिए पीपीसीबी ने राज्य भर में 10,000 से अधिकारियों की जिम्मेवारी तय की है। ये अधिकारी 15 सितंबर से ही वायु गुणवत्ता की निगरानी शुरू कर देंगे।
इस बार धान की फसल की बुआई पहले होने के कारण कटाई भी जल्दी होगी। ऐसे में पराली जलाने का सिलसिला सितंबर में ही शुरू हो सकता है। प्रदूषण बढ़ेगा तो हलचल दिल्ली तक होगी। वैसे भी हमेशा दिल्ली सरकार पराली से प्रदूषण बढ़ने का आरोप पंजाब सरकार पर ही मढ़ देती थी। अब दोनों जगह आप की ही सरकार है। दिल्ली सरकार की तरफ से पंजाब पर आरोप भी नहीं लगाया जा सकेगा। ऐसे में आम आदमी पार्टी के लिए प्रदूषण पर नियंत्रण करना बड़ी चुनौती होगी।
इस बार पंजाब में 31.5 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई की गई है। इससे 2 करोड़ टन से अधिक पराली होने की उम्मीद है। धान फसल की बुआई तय तारीख से करीब एक हफ्ता पहले शुरू हो गई थी तो पराली जलाने का सिलसिला भी सितंबर के अंत की बजाय मध्य से ही शुरू हो सकता है। इसी के चलते पीपीसीबी ने कृषि विभाग के साथ 15 सितंबर से वायु गुणवत्ता की निगरानी शुरू करने का फैसला किया है।
सरकार की तरफ से भी किसानों को पराली प्रबंधन की मशीनें फसल की कटाई से पहले मुहैया करवाने की कोशिश की जा रही है, ताकि वह पराली न जलाएं। राज्य में करीब 65,000 किसानों ने सब्सिडी वाली फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के लिए आवेदन भी किया है। ये मशीनें किसानों को मुहैया कराई जाएंगी।
पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड किसानों को पराली न जलाने के लिए जागरूक कर रहा है। इसके तहत गांवों में जागरूकता कैंप लगाए जा रहे हैं। वहीं, पराली जलाने वाले किसानों के फर्द में रेड एंट्री भी की जा रही है। जागरूकता के चलते इस सीजन में पराली जलाने के मामलों में कमी आने की उम्मीद की जा रही है।