हिमाचल का लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसकी मांग पूरे देश में रहती है। सिरमौर में लहसुन की सबसे अधिक पैदावार होती है।
कुल्लू में भी बड़े पैमाने पर लहसुन की खेती की जाती है। सोलन और शिमला में भी लहसुन की खासी पैदावार होती है। सिरमौर और सोलन में मई तक फसल तैयार होती है। यहां का लहसुन देश ही नहीं, विदेशों में भी धूम मचाता है। इसकी दक्षिण भारत की मंडियों में भारी मांग रहती है।
औषधीय गुणों से भरपूर हिमाचल के लहसुन की मांग तमिलनाडु में बढ़ने लगी है। लहसुन की मांग बढ़ने से किसानों को भी इसके अच्छे दाम मिल रहे हैं। इस बार लहसुन का आकार काफी अच्छा है। इसी वजह से मांग भी बढ़ी है।
सोलन सब्जी मंडी में ग्रेड के हिसाब से लहसुन 25 से 80 रुपये किलो बिक रहा है। जबकि तमिलनाडु की मंडियों में इसकी कीमत 100 रुपये प्रतिकिलो तक है। इन दिनों सोलन और जिला सिरमौर से लहसुन पहुंच रहा है।
देश के केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु के अलावा त्रिपुरा और सिक्किम भी लहसुन भेजा जा रहा है। सब्जी मंडी सोलन के सचिव रविंद्र शर्मा ने बताया कि मंडी में लहसुन अधिक मात्रा में आना शुरू हो गया है। किसानों को भी ग्रेड के हिसाब से दाम मिल रहे हैं। इन दिनों तमिलनाडु और कर्नाटक में लहसुन की अधिक मांग है। तमिलनाडु में सौ रुपये प्रति किलो तक लहसुन बिक रहा है।
विशेषज्ञों का कहना है कि लहसुन की प्रमुख किस्मों में पंत लोहित, एग्रीफाउंड सफेद-जी 41, यमुना सफेद जी-1 और जी-2, जी 50, जी 282 और एग्रीफाउंड पार्वती जी-313 है। कुल्लू जिले में पार्वती जी-313 का ज्यादा उत्पादन हो रहा है।