उत्तर प्रदेश में बाजरा की फसल खेतों में तैयार होने वाली है | आमतौर आगरा के आसपास के जिलों में दीपावली के त्योहार तक बाजरा की उपज खलिहान तक आ जाती है|
वर्ष 2023 को विश्व बाजरा वर्ष घोषित किया गया है| इसी कारण बाजरा-उत्पादकों को उपज का अच्छा बाज़ार और दाम मिलने की उम्मीद है | लेकिन उत्तर प्रदेश में बाजरा उत्पादक किसानों के लिए कोई कारगर कदम नहीं उठाया गया है| उल्लेखनीय है कि गेहूं-चावल के मुकाबले बाजरा की फसल बेहद कम सिंचाई से भी भरपूर उपज देती है|
अब, किसानों को फसल के साथ ही खरीद केंद्र खुलने का इंतजार है। इसके लिए किसान लंबे समय से मांग कर रहे हैं, जो जनप्रतिनिधियों से लेकर विभाग ने भी शासन स्तर पर इसकी वकालत की है। जिले में बड़ा रकवा है, तो खरीद केंद्र भी खुलने चाहिए। व्यापारी मनमाने दामों में खरीद करते हैं, जिससे न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता है।
आगरा जिले में जिले में 1.32 लाख हेक्टेयर में बाजारा की फसल होती है। बोवाई 15 जुलाई से 15 अगस्त के मध्य होती है। जिले की प्रमुख फसल में से एक बाजरा के खरीद केंद्र खोलने के लिए किसान लंबे समय से मांग उठा रहे हैं,उ लेकिन सफलता नहीं मिल पा रही है। गत वर्ष कुछ किसान संगठनों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा था तो कृषि मंत्री से मिलकर मांग उठाई थी। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इसके लिए मांग की थी। गत वर्ष बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2250 रुपये प्रति कुंतल था, लेकिन किसानों को 400 से लेकर 500 रुपये प्रति कुंतल कम दाम मिले। व्यापारी मनमाने दामों में खरीद करते हैं। खरीद केंद्र नहीं होने के कारण किसानों के सामने कोई विकल्प नहीं होता है।
गेहूं खरीद के लिए सरकार द्वारा पूरे जिले में पर्याप्त केंद्र खोले जाते हैं, जिससे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद हाे सके। वहीं सरसों खरीद के लिए भी केंद्र खोले गए थे। आगरा में धान का रकवा अधिक नहीं है, लेकिन इसके लिए भी खरीद केंद्र खुलते है|
बाजरा का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2020-21 में 2150 रुपये प्रति कुंतल, 2021-2022 में 2250 रुपये प्रति कुंतल था। इसे वर्ष 2022-23 के लिए 2350 रुपये प्रति कुंतल कर दिया गया है। वहीं किसानों के हाथ 1700 रुपये से 1800 रुपये प्रति कुंतल ही आते हैं। खरीद केंद्र नहीं होने के कारण व्यापारी मनमानी करते हैं।