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जून महीने में बागों के रख-रखाव से मिलती है अधिक पैदावार

जून महीने में पेड़-पौधों को भी ज्यादा प्यास लगती है| इसी महीने में नये पौधों को रोपने की तैयारी की जाती है| हालाकि नयी पौध बरसात के मौसम में लगती है ,लेकिन पौधों के लिए गड्ढे और उनमें गोबर की खाद पहले तैयार कर लेने चाहिए|

मई में यदि बगीचों में फल मक्खी अथवा अन्य कीटों का प्रकोप हो तो किव्नाल्फास 25 ई.सी. का 2 मि.ली. प्रति लीटर या मेलाथियान 50 ई.सी. का 1 मि.ली. प्रति लीटर या मोनोक्रोटोफास 36 डब्ल्यूएससी 2 मि.मी. प्रति लीटर की दर से या 3 प्रतिशत नीम तेल का छिडकाव करें | छिडकाव प्रातः काल या देर शाम में 21 दिनों के अंतराल पर कम से कम चार बार किया जाना चाहिए |

जून में नए अमरुद के बागों के लिए अच्छी तैयारी करें| नये पौधे लगाने के लिए गड्ढों को 3 × 3 मीटर की दूरी पर खोदा जाना चाहिए | प्रत्येक गड्ढे को 10 किलोग्राम गोबर की सादी खाद, 1 किलोग्राम नीम की खली, 50 ग्राम क्लोरपाइरीफाँस की धुल एवं उपरी मिट्टी के साथ मिलाकर भरा जाना चाहिए | पौधों में जिंक की कमी हो जाने पर पत्तियां छोटी एवं पीली लगती हैं | इसके नियंत्रण के लिए आधा किलोग्राम जिंक सल्फेट और आधा किलोग्राम बुझे हुए चुने का घोल 100 लीटर पानी में बनाकर इसका छिडक दे|

लीची के बाग में दो टोकरी गोबर की सड़ी हुई खाद (कम्पोस्ट), 2 कि.ग्रा. करंज अथवा नीम की खली 1.0 कि.ग्रा. हड्डी का चूरा अथवा सिंगल सुपर फास्फेट एवं 50 ग्रा. क्लोर पाइरीफास धूल/20 ग्रा. फ्यूराडान/20 ग्रा. थीमेट-10 जि को गड्ढे की ऊपरी सतह की मिट्टी में अच्छी तरह मिलाकर गड्ढा भर देना चाहिए |

पपीते की बीजाई के लिए वाशिंग्टन, हनीड्यू, सी. ओ. -1, सी. ओ. -2, सी. ओ. -3 सी. ओ.-4, पूसा मेजस्टी, पूसा जायंट, पूसा ड्रवार्फ पंत पपीता -1, पंत पपीता-2, ये किस्में बोने की सलाह दी जाती है |

केला के बगीचे में 300 ग्राम नाइट्रोजन, 100 ग्राम फासफ़ोरस तथा 300 ग्राम पोटाश प्रति पौधा प्रति वर्ष नाइट्रोजन को पाँच, फासफ़ोरस को दो तथा पोटाश को तीन भागों में बाँट कर देना चाहिए |

अंगूर के बगीचे में यदि एथ्राक्नोज (श्याम व्रण) का प्रकोप हो तो बाविस्टिन (0.2 प्रतिशत) के घोल का छिडकाव एक सप्ताह के अन्तराल पर दो बार करना चाहिए | चूर्णिल फफूंद की रोकथाम के लिए केराथेन (0.1 प्रतिशत) के घोल का छिडकाव अथवा सल्फर की धूल का प्रयोग करना चाहिए | इन महीनों में थ्रिप्स का भी प्रकोप कहीं–कहीं रहता है | इसकी रोकथाम के लिए मैलाथियान के 500 मि.ली. प्रति 500 लीटर पानी में घोल का छिडकाव करना चाहिए |

महाराष्ट्र के सिंचित क्षेत्रों में आंबे भार को पसंद किया जाता है | मृग भार वाले क्षेत्रों में अप्रैल–मई से ही खेतों में सिंचाई रोक दी जाती है | सिंचाई रोकने के 45 दिनों के बाद पौधों की हल्की छटाई करनी चाहिए | छटाई के तुरंत पश्चात, उर्वरक की खुराक और सिंचाई शुरू कर देनी चाहिए | सामान्यत: अनार के पौधों में 10–15 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद, 250 ग्राम नाईट्रोजन, 125 ग्राम फास्फोरस एवं 125 ग्राम पोटेशियम प्रति वर्ष प्रति वृक्ष देना चाहिए | खाद एवं उर्वरकों का उपयोग पौधों के छत्रक के नीचे चरों ओर 8–10 से.मी. गहरी खाई बनाकर देना चाहिए |

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