हरियाणा में भारी बारिश और यमुना क्षेत्र में बाढ़ के कारण पानीपत और सोनीपत में किसानों को नुकसान हुआ है। सोनीपत में 11,000 एकड़ में लगी फसल को नुकसान पहुंचा है, जबकि यमुना क्षेत्र में भारी बाढ़ के कारण पानीपत जिले में 9,573 एकड़ में फसल बर्बाद हो गई है। गोहाना में 25 जुलाई और 26 जुलाई को भारी बारिश के कारण लगभग 22,000 एकड़ फसल के नुकसान की सूचना मिली है। ऐसा ही बुरा हाल फतेहाबाद का भी है जहां घग्घर नदी की वजह से खेतों और कई गांवों में पानी भरा हुआ है। किसान लाचार है और सरकार की तरफ देख रहे हैं।
पानीपत जिले में लगभग 45 किमी क्षेत्र और सोनीपत जिले में 41.74 किमी क्षेत्र नदी तट पर है। गन्ने, धान, चारे की फसल, कद्दू, लौकी, करेला, स्वीट कॉर्न और टमाटर जैसी सब्जियों की खड़ी फसलें क्षतिग्रस्त हो गईं। गोहाना क्षेत्र में भी जमीन डूब गई। सोनीपत जिले में बाढ़ के कारण 26 गांव प्रभावित हुए हैं और बाढ़ के कारण 10,733 एकड़ में खड़ी फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, गन्नौर में 3,640 एकड़, राई ब्लॉक में 6,003 एकड़ और सोनीपत ब्लॉक में 1,090 एकड़ जमीन जलमग्न हो गई।
सूबे के गोहाना में भारी बारिश से फसल के नुकसान की अनुमानित रिपोर्ट कृषि विभाग ने सरकार को भेज दी है। रिपोर्ट के अनुसार, फसल-वार नुकसान इस प्रकार है – ज्वार 4,000 एकड़, कपास 1,006 एकड़, धान 35,082 एकड़ और बाजरा 1,920 एकड़ फसल का नुकसान हुआ है।
पानीपत में भारी बारिश के कारण 9,537 एकड़ में फसल के नुकसान का अनुमान है। विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, नुकसान 5,307 एकड़ में धान की फसल, 2,199 एकड़ में गन्ना, 1,284 एकड़ में बागवानी और अन्य फसलें, 8 एकड़ में कपास और 739 एकड़ में चारा आदि से संबंधित है।
कृषि विभाग के विषय वस्तु विशेषज्ञ देवेंद्र कुहाड़ ने कहा कि, सोनीपत में लगभग 46 प्रतिशत किसानों ने मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल पर पंजीकरण कराया था, जबकि 24 प्रतिशत ने पानीपत जिले में अपना डेटा अपलोड किया था। पानीपत के डीआरओ राज कुमार भोरिया ने कहा कि उन्होंने बापौली क्षेत्र में यमुना में उफान के कारण पानी से प्रभावित क्षेत्रों की रिपोर्ट भेजी है।
सोनीपत के डीआरओ हरिओम अत्री ने कहा कि, जिले में भारी बारिश या बाढ़ के कारण लगभग 12,082 हेक्टेयर (यमुना के कारण लगभग 8,000 एकड़ और गोहाना में 22,000 एकड़) प्रभावित हुई है। उन्होंने कहा, जिले के लगभग 30,000 एकड़ में अभी भी पानी जमा है। किसानों को अपनी फसल क्षति को ई-फसल पूर्ति पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया था।